Uttarakhand Jewellery Ban: पहाड़ों की गोद में बसे उत्तराखंड के जौनसार-बाबर के गांवों से एक ऐसी खबर आई है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया है. जहां आज शादियों में दिखावा, गहनों की चमक और खर्चों की दौड़ आम बात बन चुकी है, वहीं इन गांवों की पंचायतों ने ऐसा कदम उठाया है जो समाज में सादगी की नई मिसाल पेश कर रहा है.
देहरादून जिले के कंदाड़ और इद्रोली गांवों की पंचायत ने मिलकर एक अनोखा लेकिन असरदार फैसला लिया है ब शादी-ब्याह में महिलाएं सिर्फ सीमित गहने ही पहनेंगी. कोई सोने-चांदी की होड़, न दूसरों से बेहतर दिखने की जद्दोजहद. यहां अब गहनों की जगह सादगी और समानता ने जगह बना ली है.
सादगी की मिसाल बनी पंचायत
पंचायत ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि अब गांवों में किसी भी शादी या सामाजिक समारोह में महिलाएं सिर्फ सीमित आभूषण ही पहनेंगी. अब महिलाएं सिर्फ कान के कुंडल, नाक की लोंग और मंगलसूत्र पहन सकेंगी. बाकी भारी और कीमती गहनों पर रोक लगा दी गई है.
इस फैसले के बाद इन गांवों में न तो कोई इसे तानाशाही मान रहा है, न ही कोई विरोध कर रहा है. बल्कि महिलाओं ने खुद इस कदम का स्वागत किया है. पंचायत का यह निर्णय ग्रामीण समाज में समानता और सादगी का उदाहरण पेश कर रहा है.
नियम तोड़ने पर 50 हजार का जुर्माना
गांव की पंचायत ने इस नियम को सख्ती से लागू करने की बात भी कही है. अगर कोई महिला इस नियम का उल्लंघन करती है और तय सीमा से ज्यादा गहने पहनती है, तो उसे 50 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. हालांकि पंचायत का कहना है कि यह सजा किसी को डराने के लिए नहीं, बल्कि समाज में अनुशासन और एकरूपता बनाए रखने के लिए है.
क्यों लिया गया यह फैसला
गांव के बुजुर्गों और पंचायत सदस्यों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में शादी-ब्याह और अन्य आयोजनों में गहनों और कपड़ों का दिखावा बहुत बढ़ गया था. इससे सामाजिक प्रतिस्पर्धा बढ़ने लगी थी. कई गरीब परिवारों पर इस कारण आर्थिक बोझ भी बढ़ गया, क्योंकि वे समाज में अपनी इज्जत बचाने के लिए कर्ज लेकर गहने बनवाने लगे थे. इसी स्थिति को देखते हुए पंचायत ने यह निर्णय लिया ताकि समाज में समानता, सादगी, और सौहार्द्र बना रहे.
महिलाओं का मिला पूरा समर्थन
सबसे खास बात यह है कि इस फैसले को गांव की महिलाओं ने भी दिल से स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि इससे न केवल आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि सामाजिक तनाव भी घटेगा. गांव की एक महिला कहती हैं – “अब हमें दूसरों को देखकर ज्यादा गहने पहनने की चिंता नहीं होगी. इससे हमें राहत मिलेगी और घर के पैसे भी बचेंगे.”
जौनसार-बाबर: संस्कृति और अनुशासन का क्षेत्र
जौनसार-बाबर क्षेत्र वैसे भी अपनी अनोखी परंपराओं और सामाजिक एकता के लिए जाना जाता है. यहां के लोग सामूहिक निर्णयों को प्राथमिकता देते हैं और हर सामाजिक पहल को पूरे गांव के साथ मिलकर निभाते हैं. इस बार भी पंचायत ने ऐसा कदम उठाया है, जिसने पूरे उत्तराखंड में एक नई सोच को जन्म दिया है.
समाज के लिए प्रेरणा
यह फैसला सिर्फ एक गांव का नियम नहीं है, बल्कि समाज को संदेश देता है कि दिखावे से ज्यादा महत्व सादगी का होना चाहिए. जब समाज खुद जिम्मेदारी लेकर ऐसे कदम उठाता है, तो परिवर्तन स्वाभाविक रूप से आता है.