Okra Farming: रबी सीजन में सब्जियों की खेती किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया होती है. लेकिन सही समय पर सही फसल लगाने से ही असली मुनाफा मिलता है. नवंबर का अंतिम सप्ताह ऐसी ही फसलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, जब ठंड शुरू हो चुकी होती है और बाजार में कुछ सब्जियों की कमी दिखाई देने लगती है. इस समय अगर किसान स्मार्ट खेती करें तो तीन गुना तक लाभ कमा सकते हैं. ऐसी ही एक सब्जी है भिंडी, जिसकी मांग सालभर बनी रहती है और सर्दियों में इसकी आवक कम होने के कारण मंडी में 60–80 रुपये किलो या उससे भी अधिक भाव मिल सकता है.
सर्दियों में भिंडी क्यों है बेस्ट ऑप्शन?
आम तौर पर लोग भिंडी को गर्मी की फसल मानते हैं, इसी वजह से सर्दियों में बहुत कम किसान इसकी खेती करते हैं. यही किसानों के लिए कमाई का सबसे बड़ा मौका है. कम उत्पादन के चलते बाजार में भिंडी की कीमतें बढ़ जाती हैं और कम निवेश में अच्छा मुनाफा दे जाती है. यदि किसान प्लास्टिक मल्च और सही दूरी के साथ खेती करें तो उत्पादन भी बढ़ता है और पौधों पर सर्द हवाओं का असर भी कम होता है.
खेत की तैयारी कैसे करें?
सर्दी में भिंडी की खेती के लिए सबसे जरूरी है-अच्छी तरह से तैयार खेत. पौधों की जड़ें ठंड के दौरान कमजोर पड़ सकती हैं, इसलिए मिट्टी का भुरभुरापन और गर्माहट बनाए रखना आवश्यक है.
- सबसे पहले खेत की 3–4 बार जुताई करें. उसके बाद ऊंचे और चौड़े बेड तैयार करें.
- बेड की ऊंचाई लगभग 1.5 फीट और चौड़ाई 2 फीट रखें.
- इस व्यवस्था से पानी कभी जमा नहीं होता और ठंड में जड़ों को सड़न से बचाता है.
बीज बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें और पौधों के निकलने तक रात के समय खेत को ढककर रखें ताकि पाला न लगे. इसके साथ प्लास्टिक मल्च का उपयोग बहुत फायदेमंद रहता है, इससे नमी बनी रहती है और खरपतवार कम उगते हैं.
बीज की दूरी और बुवाई
सर्दियों में भिंडी को बेड पर लाइन से बोया जाता है. एक लाइन में तीन-तीन बीज और पौधे से पौधे की दूरी 6 इंच रखें. ध्यान रहे पंक्तियों के बीच 3 फीट की दूरी जरूरी है ताकि पौधों को पर्याप्त धूप और हवा मिल सके.
कितने बीज की जरूरत पड़ेगी?
गर्मी के मुकाबले सर्दियों में बीज की मात्रा कम लगती है. एक एकड़ खेत के लिए लगभग 3 किलो बीज पर्याप्त हैं. मल्चिंग होने पर दूरी बढ़ जाती है, जिससे बीज की मात्रा और कम लगती है एवं खर्च बचता है.
मुनाफा कितने का?
यदि एक एकड़ से किसान 40–50 क्विंटल भिंडी भी बेचते हैं और मंडी में औसत कीमत 60 रुपये प्रति किलो मिलती है, तो कुल आय 2.5–3 लाख रुपये तक हो सकती है. लागत घटाने के बाद भी किसान दोगुना–तीन गुना मुनाफा कमा सकते हैं.