किसान ध्यान दें! बरसात में ये साधारण गलती ले सकती है आपके पशुओं की जान.. समय रहते अपनाएं ये टिप्स

Pashu Palan Ke Tips: बरसाती मौसम किसानों के लिए खेती में सौगात लेकर आता है, लेकिन वहीं उनके पालतू पशुओं के लिए कई जोखिम भी छिपा होता है. भारी बारिश, बढ़ते जलाशय और नमी की वजह से पशुओं में पेट संबंधी कीड़े और परजीवी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर जैसे पालतू जानवर बरसात में आसानी से बीमार पड़ सकते हैं. अगर समय रहते सावधानी और उचित इलाज न किया जाए, तो संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है, जिससे पशुओं की सेहत पर असर पड़ता है.

नोएडा | Published: 10 Sep, 2025 | 03:50 PM
1 / 6बरसात में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर जैसे पालतू पशुओं में पेट संबंधी परजीवी (GI parasitic infections) तेजी से फैलते हैं. ये कीड़े पशुओं की आंत और आमाशय में रहते हैं और समय पर रोकथाम न होने पर उनकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं.

बरसात में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर जैसे पालतू पशुओं में पेट संबंधी परजीवी (GI parasitic infections) तेजी से फैलते हैं. ये कीड़े पशुओं की आंत और आमाशय में रहते हैं और समय पर रोकथाम न होने पर उनकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं.

2 / 6बारिश के दिनों में तालाब, नालों और पोखरों में पानी भरने से घोंघों (स्नेल्स) की संख्या बढ़ जाती है. जब पशु चारा चरने जाते हैं, तो ये घोंघे उनके शरीर में प्रवेश कर परजीवी संक्रमण फैला सकते हैं, जिससे पशुओं की सेहत बिगड़ सकती है.

बारिश के दिनों में तालाब, नालों और पोखरों में पानी भरने से घोंघों (स्नेल्स) की संख्या बढ़ जाती है. जब पशु चारा चरने जाते हैं, तो ये घोंघे उनके शरीर में प्रवेश कर परजीवी संक्रमण फैला सकते हैं, जिससे पशुओं की सेहत बिगड़ सकती है.

3 / 6पेट के कीड़ों से प्रभावित पशुओं की त्वचा खुरदुरी और रूखी हो जाती है. बाल बेजान और झुर्रियों वाली दिखाई देते हैं. इन संकेतों को पहचानना जरूरी है, वरना संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है और पशु की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है.

पेट के कीड़ों से प्रभावित पशुओं की त्वचा खुरदुरी और रूखी हो जाती है. बाल बेजान और झुर्रियों वाली दिखाई देते हैं. इन संकेतों को पहचानना जरूरी है, वरना संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है और पशु की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है.

4 / 6यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो लंग्स वार्म, हार्ट वार्म और ऐम्फ़िस्टम्स जैसे ब्लड-सकिंग परजीवी पशुओं के शरीर से पोषण चूसते हैं. इससे उनका वजन घटता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और जान पर भी खतरा बन सकता है.

यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो लंग्स वार्म, हार्ट वार्म और ऐम्फ़िस्टम्स जैसे ब्लड-सकिंग परजीवी पशुओं के शरीर से पोषण चूसते हैं. इससे उनका वजन घटता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और जान पर भी खतरा बन सकता है.

5 / 6बरसात शुरू होने से पहले ही पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा देना सबसे प्रभावी उपाय है. इसके अलावा नवजात बछड़ों या बच्चों को जन्म के 8–10 दिन बाद दवा देना बेहद जरूरी है. इसे हर तीन महीने में दोहराना संक्रमण से बचाव का सबसे भरोसेमंद तरीका है.

बरसात शुरू होने से पहले ही पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा देना सबसे प्रभावी उपाय है. इसके अलावा नवजात बछड़ों या बच्चों को जन्म के 8–10 दिन बाद दवा देना बेहद जरूरी है. इसे हर तीन महीने में दोहराना संक्रमण से बचाव का सबसे भरोसेमंद तरीका है.

6 / 6जो किसान घरेलू उपाय अपनाना चाहते हैं, उनके लिए नीम की पत्तियों को गुड़ में मिलाकर पशुओं को खिलाना कारगर साबित होता है. यह पेट के कीड़ों को बड़ी मात्रा में साफ करता है और पशुओं की सेहत को प्राकृतिक तरीके से मजबूत बनाता है.

जो किसान घरेलू उपाय अपनाना चाहते हैं, उनके लिए नीम की पत्तियों को गुड़ में मिलाकर पशुओं को खिलाना कारगर साबित होता है. यह पेट के कीड़ों को बड़ी मात्रा में साफ करता है और पशुओं की सेहत को प्राकृतिक तरीके से मजबूत बनाता है.

Published: 10 Sep, 2025 | 03:50 PM