Kodo Kutki Procurement: मध्य प्रदेश के किसानों के लिए इस साल की बड़ी खुशखबरी है. राज्य सरकार ने पहली बार किसानों से कोदो और कुटकी खरीदी करने का ऐलान किया है. यह पहल खासकर उन किसानों के लिए मददगार होगी जिन्होंने इन जड़ी-बूटी जैसी अनाज फसलों की खेती की है. खरीदी की शुरुआत जबलपुर जिले की कुंडम तहसील से हो रही है, जहां करीब सात हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कोदो-कुटकी की खेती की गई है.
सरकार ने कोदो की दर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल और कुटकी की दर 3,500 रुपये प्रति क्विंटल तय की है. यह खरीदी धान-गेहूं या उड़द-मूंग जैसी पारंपरिक सरकारी खरीद की तरह नहीं होगी. इस बार सरकार सिर्फ व्यवस्था का समन्वय करेगी और फसल का भुगतान श्री अन्न फेडरेशन कंपनी, भोपाल द्वारा किया जाएगा. किसानों को हर एक किलो पर 10 रुपये का अतिरिक्त समर्थन मूल्य भी मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी.
एफपीओ के माध्यम से होगी खरीदी
खरीदी का काम एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) को दिया गया है. कृषि विभाग की निगरानी में एफपीओ किसानों से कोदो-कुटकी खरीद करेगा. इस पहल का मकसद छोटे और मध्यम किसानों को सरकारी सुरक्षा कवच देना और उन्हें उनके उत्पाद का सही मूल्य सुनिश्चित करना है. पहले चरण में सिर्फ एक एफपीओ को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है.
पंजीयन प्रक्रिया शुरू
नई दुनिया की खबर के अनुसार, 15 सितंबर से किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जो किसान अपनी फसल बेचना चाहते हैं, वे पंजीयन कराकर सरकारी खरीद के लिए अपने एफपीओ से जुड़ सकते हैं. कलेक्टर जबलपुर राघवेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार खरीदी पूरी तरह पारदर्शी होगी और किसानों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
किसानों के लिए फायदे
कोदो और कुटकी जैसी फसलों की सरकारी खरीदी से किसानों को कई फायदे होंगे. सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसानों को अपने उत्पाद का सही मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी. साथ ही, यह पहल छोटे और सीमांत किसानों को बाजार की अनिश्चितता से सुरक्षा प्रदान करेगी. इससे वे धान और गेहूं जैसी मुख्य फसलों के अलावा भी अपनी खेती में विविधता ला सकेंगे.
भविष्य में बढ़ सकती है पहल
केंद्र और राज्य सरकार की इस नई पहल का असर सिर्फ जबलपुर तक सीमित नहीं रहेगा. यदि यह मॉडल सफल होता है, तो पूरे मध्य प्रदेश में कोदो-कुटकी और अन्य स्थानीय फसलों की सरकारी खरीदी शुरू की जा सकती है. इससे किसानों को स्थिर आय मिलेगी और राज्य में इन पौष्टिक फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा