बरसात में लगा दें सीताफल के पेड़, खेती से किसान कमाएंगे लाखों रुपये

सीताफल की मांग मिठाइयों, आइसक्रीम और पल्प बनाने में काफी होती है. ताजा फल, पल्प और सीताफल से बने उत्पाद किसानों के लिए अच्छी आमदनी का स्रोत बन सकते हैं. इसकी बिक्री स्थानीय बाजार, थोक विक्रेता और प्रोसेसिंग यूनिट्स में होती है.

नई दिल्ली | Published: 21 Aug, 2025 | 03:39 PM

सीताफल, जिसे शरीफा या कस्टर्ड एप्पल भी कहा जाता है, सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर फल है. इसमें फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. अगर आप किसान हैं और सीताफल की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो यह फसल आपके लिए मुनाफे वाली और लाभकारी साबित हो सकती है. सरकार भी बागवानी फसलों पर सब्सिडी देती है, जिससे खेती की लागत कम होती है.

सीताफल की खेती के लिए जरूरी बातें

बुवाई का समय

सीताफल की बुवाई साल में दो बार की जाती है. इसके लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च होता है.

जलवायु और तापमान

सीताफल गर्म और उष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह फलता-फूलता है. इसके लिए तापमान 25°C से 35°C के बीच होना चाहिए. ठंडी और पाले वाली जगहों में इसकी खेती मुश्किल होती है.

मिट्टी

बलुई दोमट मिट्टी सीताफल के लिए सबसे उपयुक्त है. मिट्टी में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए और pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

प्रजातियां

किसानों में सबसे लोकप्रिय प्रजाति अन्नोना स्क्वामोसा है. इसके अलावा हाइब्रिड किस्में भी उपलब्ध हैं, जो अधिक उत्पादन देती हैं और कीटों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं.

रोपण

पौधों के बीच 4 से 5 मीटर की दूरी रखें. आप बीज या ग्राफ्टेड पौधों का उपयोग कर सकते हैं. ग्राफ्टेड पौधे जल्दी फल देते हैं और जल्दी बढ़ते हैं.

सिंचाई

बारिश के मौसम में अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती. गर्मियों में हर 10-15 दिन में पानी देना चाहिए. फूल और फल बनने के समय नियमित सिंचाई फायदेमंद होती है.

खाद और उर्वरक

रोपण के समय गोबर की खाद डालना अच्छा रहता है. इसके अलावा, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश संतुलित मात्रा में दें. जैविक खाद का उपयोग फल की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है.

कीट और रोग नियंत्रण

सीताफल के पौधों पर अक्सर फल मक्खी और छाल भृंग का अटैक होता है. इनसे बचाव के लिए जैविक कीटनाशक या नीम के तेल का छिड़काव करें. प्रमुख रोगों में एन्थ्रेक्नोज और पाउडरी मिल्ड्यू शामिल हैं, जिनके लिए फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें.

फसल की कटाई और उत्पादन

पौधे लगाने के 2-3 साल बाद फल देना शुरू करते हैं. पकने पर फल हल्के हरे से पीले हो जाते हैं और नरम महसूस होते हैं. औसतन एक पौधा 40-60 फल दे सकता है, जबकि हाइब्रिड किस्में और अधिक उत्पादन देती हैं.

बाजार और लाभ

सीताफल की मांग मिठाइयों, आइसक्रीम और पल्प बनाने में काफी होती है. ताजा फल, पल्प और सीताफल से बने उत्पाद किसानों के लिए अच्छी आमदनी का स्रोत बन सकते हैं. इसकी बिक्री स्थानीय बाजार, थोक विक्रेता और प्रोसेसिंग यूनिट्स में होती है.