ड्रोन इस्तेमाल से पैदावार में बढ़ोत्तरी, खेती में किसानों की घट रही लागत

सोयाबीन की खेती करने वाले किसान स्वप्निल भालकर ने बताया कि ड्रोन छिड़काव गेम चेंजर साबित हुआ. सोयाबीन की पैदावार 20 फीसदी बढ़ी है. जबकि, मैनुअल खर्च 5 हजार रुपये होता था जो ड्रोन इस्तेमाल से घटकर 1500 रुपये रह गया है.

रिजवान नूर खान
Noida | Updated On: 6 Apr, 2025 | 04:07 PM

खेती में पारंपरिक तरीके से उर्वरकों और कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के दौरान 40 फीसदी तक की बर्बादी होती है. इस बर्बादी को रोकने में एग्रीकल्चर ड्रोन अहम भूमिका के रूप में उभरे हैं. ड्रोन तकनीक छिड़काव को आसान करने के साथ ही लागत को घटाने में मददगार साबित हो रही है. सोयाबीन, गन्ना, तिलहन और दलहन फसलों के साथ ही धान, गेहूं और मक्का फसलों में ड्रोन के इस्तेमाल से पैदावार में उछाल देखा गया है.

ड्रोन बनाने वाली एग्रीटेक कंपनी सलाम किसान के अनुसार अब विभिन्न क्षेत्रों के किसान एग्रीकल्च ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करके क्रांतिकारी बदलाव का अनुभव कर रहे हैं. यह समाधान न केवल फसल सुरक्षा को बेहतर बना रहा है बल्कि कृषि उत्पादकता को भी बढ़ा रहा है. कंपनी ने अब तक महाराष्ट्र में 80,000 एकड़ से अधिक भूमि को कवर किया है और 3 लाख से अधिक किसानों को सटीक कृषि तकनीक अपनाने के लिए मजबूत बनाया है.

5 मजदूरों का काम 1 घंटे में अकेले कर रहा ड्रोन

सोयाबीन की खेती करने वाले किसान स्वप्निल भालकर के लिए ड्रोन छिड़काव एक गेम-चेंजर साबित हुआ. उन्होंने कहा कि ड्रोन छिड़काव सेवा शानदार रही है. सोयाबीन की पैदावार 20 फीसदी बढ़ी, जबकि कीटनाशकों की खपत 30 फीसदी घट गई है. इससे पौधों की बेहतर बढ़त, फूल और फल लगने की प्रक्रिया में सुधार हुआ है. पहले जिस काम में 3 से 5 मज़दूरों को पूरा दिन लगता था, उसे ड्रोन ने सिर्फ एक घंटे में पूरा कर दिया.

ऊंची फसलों में छिड़काव संकट दूर हुआ

बोरधरन बोरी गांव के किसानों ने भी इस ड्रोन तकनीक के फायदे बताते हुए कहा कि सलाम किसान की ड्रोन सेवा इस्तेमाल करने के बाद उन्होंने पौधों की सेहत में सुधार देखा है. उन्होंने कहा यह प्रक्रिया 100% सफल रही, जिससे समय और संसाधनों की बचत हुई. उन्होंने कहा कि गन्ना, धान और मक्का जैसी फसलों के लिए ड्रोन तकनीक काफी फायदेमंद रही है. क्योंकि, ऊंची फसलों में छिड़काव आसान हो गया है.

ड्रोन इस्तेमाल कितनी बचत होती है

ड्रोन छिड़काव पारंपरिक विधियों से कहीं अधिक बेहतर है. 10 एकड़ खेत को मैन्युअली छिड़कने में लगभग 8 घंटे लगते हैं, जबकि ड्रोन से यह काम मात्र 2 घंटे में पूरा हो जाता है. पारंपरिक विधियों में 100 लीटर कीटनाशक की जरूरत होती है, लेकिन ड्रोन इसे घटाकर 70 लीटर कर देता है. इससे 30 फीसदी तक कीटनाशकों की बचत होती है. मजदूरी लागत में भी भारी कमी आती है. पारंपरिक छिड़काव में 5,000 रुपये तक खर्च होते हैं, वहीं ड्रोन छिड़काव सिर्फ 1,500 रुपये में हो जाता है.

बड़े खेतों के लिए एक व्यापक समाधान

9 एकड़ में तुअर की खेती करने वाले किसान ने बताया कि ड्रोन छिड़काव बेहद प्रभावी और किफायती समाधान रहा. उन्होंने कहा कि हमने पूरे खेत में छिड़काव केवल एक घंटे में पूरा कर लिया. महाराष्ट्र के धुले जिले के किसान ध्रुवल चंद्रबदन और वर्धा जिले के शुभम रमेश्वर राव तिवारी ने भी ड्रोन छिड़काव के शानदार परिणाम देखे हैं. उनके तुअर के खेतों में ड्रोन से किए गए छिड़काव ने समान और सटीक कीटनाशक फैलाव किया है.

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Published: 6 Apr, 2025 | 04:06 PM

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