स्टोन पिकर मशीन से हटाएं खेतों के अनचाहे पत्थर, जानिए इसके फायदे और कीमत

स्टोन पिकर मशीन एक अत्याधुनिक कृषि उपकरण है, जो खेतों में पड़े हुए पत्थरों और कंकड़ों को हटाने का काम करती है.

Kisan India
Noida | Published: 6 Mar, 2025 | 09:37 AM

अगर आप किसान हैं और अपने खेतों में बार-बार पत्थरों और कंकड़ों की समस्या से परेशान रहते हैं, तो अब चिंता की कोई बात नहीं. आधुनिक कृषि उपकरणों में से एक स्टोन पिकर मशीन आपकी इस समस्या का समाधान कर सकती है. यह मशीन न केवल खेतों से पत्थर और कंकड़ हटाती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाकर फसल की पैदावार भी बढ़ाती है. आइए जानते हैं यह मशीन कैसे किसानों के लिए फायदेमंद है.

कैसे काम करती है स्टोन पिकर?

स्टोन पिकर मशीन एक अत्याधुनिक कृषि उपकरण है, जो खेतों में पड़े हुए पत्थरों और कंकड़ों को हटाने का काम करती है. यह मशीन ट्रैक्टर से जुड़कर काम करती है और बड़े-बड़े पत्थरों को आसानी से इकट्ठा करके अलग कर देती है. इसमें एक रोटेटिंग ड्रम और वाइब्रेटिंग सिस्टम होता है, जो पत्थरों और मिट्टी को अलग करता है. कुछ उन्नत मशीनों में GPS और ऑटोमेटेड सिस्टम भी होते हैं, जिससे यह अधिक सटीकता से काम करती है.

स्टोन पिकर मशीन के फायदे-

मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार: खेतों में पड़े पत्थर मिट्टी के पोषक तत्वों को अवरुद्ध कर सकते हैं. स्टोन पिकर मशीन इन पत्थरों को हटा देती है, जिससे जल निकासी बेहतर होती है और मिट्टी अधिक उपजाऊ बनती है.

कृषि उपकरणों की सुरक्षा: अगर खेतों में पत्थर और कंकड़ मौजूद हों, तो ट्रैक्टर, हल और अन्य कृषि उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है. स्टोन पिकर मशीन इन अवरोधों को हटा देती है, जिससे कृषि यंत्रों की लाइफ स्पैन बढ़ जाती है.

फसल की वृद्धि में मदद: बुवाई के समय पत्थरों की वजह से बीजों का उचित अंकुरण नहीं हो पाता. स्टोन पिकर मशीन से साफ खेत में फसल बेहतर तरीके से उगती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.

समय और श्रम की बचत: पहले किसानों को पत्थर हटाने के लिए हाथ से मेहनत करनी पड़ती थी, जिससे समय और श्रम दोनों की खपत होती थी. यह मशीन तेजी से और कम मेहनत में यह काम कर सकती है.

भारत में स्टोन पिकर की कीमत

भारत में अब कई कंपनियां स्टोन पिकर मशीन बना रही हैं. स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स इस मशीन को भारतीय बाजार में उपलब्ध करा रहे हैं. इसकी कीमत मशीन के मॉडल, ब्रांड और क्षमताओं के आधार पर 2 लाख से 10 लाख रुपये तक हो सकती है. कई राज्य सरकारें इस पर सब्सिडी भी दे रही हैं, जिससे किसान इसे आसानी से खरीद सकें.

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