Sugarcane कचरे की ईंटों से बना भारत का पहला स्कूल, इसकी खूबियां आपको चौंका देंगी

नोएडा में स्कूल बनाने के लिए गन्ने के वेस्ट से बनीं ईंटों का इस्तेमाल किया गया है. स्कूल बनाने का काम यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन (UEL) और भारत की कंपनी केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजीज (CST) और पंचशील बालक इंटर कॉलेज (PBIC) के बीच हुई साझेदारी से पूरा हो सका है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 26 Jun, 2025 | 06:40 PM

उत्तर प्रदेश के नोएडा में खेती को विज्ञान से जोड़कर एक ऐसा प्रयोग किया गया है जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है. दरअसल, नोएडा में गन्ने के कचरे से बनीं ईंटों (शुगरक्रेट) का इस्तेमाल करके एक स्कूल तैयार किया गया है. इसके साथ ही कचरे से बनीं ईंटों से बनने वाला यह भारत का पहला स्कूल हो गया है. ये पढ़ कर आपको हैरानी जरूर हुई होगी लेकिन ये सच है. ईस्ट लंदन यूनिवर्सिटी ने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है और अब गन्ने के कचरे से बनी ईंट को मिट्टी की ईंट के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने का विकल्प बताया गया है. कहा गया है कि अगर गन्ने के वेस्ट से बनीं ईंटें इस्तेमाल मे लाई जाती हैं तो मिट्टी की कमी को रोकने में भी मदद मिल सकेगी और ऐसी इमारत पर्यावरण का संरक्षण करेगी और जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार साबित हो सकती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन ने पूरा किया प्रोजेक्ट

गन्ने के वेस्ट से बनी ईंट के इस्तेमाल से स्कूल बनाने का काम यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन (UEL), भारत की कंपनी केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजीज (CST) और पंचशील बालक इंटर कॉलेज (PBIC) के बीच हुई साझेदारी से पूरा किया गया है. ऐसा पहली बार हुआ है कि शुगरक्रेट यानी गन्ने के वेस्ट से बनी ईंट का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किसी इमारत के निर्माण के लिए किया गया है. इस स्कूल को बनाने वाली टीम का कहना है कि आगे भी इस तरह के प्रोजेक्ट भारत में बनते रहेंगे.

ईंट का विकल्प बनेगा शुगरक्रेट

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार शुगरक्रेट को पहली बार साल 2023 में यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के रिसर्चर्स एलन चैंडलर और आर्मर गुटिरोज रिवास ने विकसित किया था. गन्ने के रस को निकालने के बाद जो बचा हुआ सूखा गूदा होता है, उसे खनिज बाइंडरों के साथ मिलाकर ये ईंट या शुगरक्रेट तैयार किया गया. बता दें कि ये ईंटें पारंपरिक ईंटों के मुकाबले 6 गुना कम कार्बन फुट प्रिंट देती हैं. भारत गन्ने की खेती में दुनिया में टॉप पर है जिसके कारण शुगरक्रेट देश में पारंपरिक ईंटों का एक बेहतर विकल्प बन सकता है.

इंटरलॉकिंग शुगरक्रेट ब्लॉक से बनीं दीवारें

इस प्रोजेक्ट के तहत नोएडा में स्कूल के एक ब्लॉक को तैयार किया गया है जिसमें इंटरलॉकिंग शुगरक्रेट ब्लॉकों से बनी दीवारें हैं. इन दीवारों को चूने के मोर्टार से एक साथ रखा गया है. शुगरक्रेट से बनी क्लासरूम की छत को स्टील के फ्रेम से सहारा दिया गया है और खिड़कियों पर क्लेरेस्टोरी विंडो लगाई गई है ताकि क्लासरूम के अंदर नेचुरल सनलाइट आ सके. इसके अलावा इस डिजाइन में मानसून के दौरान छात्रों को बचाने के लिए एक बरामदा भी शामिल है.

हरियाणा में भी बन रहा स्कूल

नोएडा में शुगरक्रेट से स्कूल के सफल निर्माण के बाद अब यही टीम शिक्षा एनजीओ पर्यटन फाउंडेशन की मदद से हरियाणा के हिसार में एक और शुगरक्रेट से बने केंद्र का निर्माण करेगी. इस केंद्र में करीब 150 कमजोर बच्चों की जरूरतों को पूरा किया जाएगा. यहां बच्चों को नई स्किल सिखाने पर जोर दिया जाएगा.

कहा गया है कि अगर गन्ने के वेस्ट से बनीं ईंटें इस्तेमाल मे लाई जाती हैं तो मिट्टी की कमी को रोकने में भी मदद मिल सकेगी और ऐसी इमारत पर्यावरण का संरक्षण करेगी और जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार साबित हो सकती है.

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Published: 26 Jun, 2025 | 04:57 PM

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