पराली जलाने की जरूरत नहीं! कम खर्च में जैविक खाद बनाएंगी ये 5 आधुनिक मशीनें
पंजाब, हरियाणा, यूपी और एमपी जैसे राज्यों में बड़ी मात्रा में पराली निकलती है. पराली जलाने से हवा में PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कण बढ़ जाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अच्छी बात यह है कि अब तकनीक किसानों को इस समस्या से बाहर निकलने का रास्ता दे रही है.
भारत में हर साल पराली जलाने की समस्या वायु प्रदूषण को बढ़ाती है और मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाती है. लेकिन अब किसानों के पास नए और टिकाऊ विकल्प मौजूद हैं, जिनकी मदद से पराली जलाए बिना ही उसे जैविक खाद में बदला जा सकता है. यही बदलाव किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आ रहा है. आधुनिक कृषि मशीनों की मदद से किसान न केवल खेत की गुणवत्ता सुधार रहे हैं, बल्कि फसल की पैदावार भी बढ़ा रहे हैं.
पराली प्रबंधन क्यों है जरूरी?
पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली जैसे राज्यों में बड़ी मात्रा में पराली निकलती है. पराली जलाने से हवा में PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कण बढ़ जाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. दूसरी ओर, मिट्टी की सतह की जैविक परत भी बर्बाद होती है. अच्छी बात यह है कि अब तकनीक किसानों को इस समस्या से बाहर निकलने का रास्ता दे रही है.
हैप्पी सीडर
हैप्पी सीडर पराली प्रबंधन की सबसे कारगर मशीनों में से एक है. यह मशीन पराली को बारीक काटकर मिट्टी में ऐसा मिला देती है कि वह खेत के लिए मल्चिंग का काम करती है. इससे मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और फसल की जड़ें मजबूत बनती हैं.
पराली मिट्टी में जैविक खाद के रूप में बदलती है, जिससे अगली फसल की पैदावार में वृद्धि होती है.
मल्चर
मल्चर मशीन पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर खेत की सतह पर फैला देती है. यह परत सूरज की किरणों से मिट्टी की रक्षा करती है और नमी को सुरक्षित रखती है. यह मशीन विशेष रूप से उन किसानों के लिए उपयोगी है जो अपने खेत में रासायनिक खादों के बजाय जैविक माध्यम से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना चाहते हैं. समय के साथ यही पराली खाद में बदल जाती है.
रोटावेटर
रोटावेटर मिट्टी की गहराई तक जुताई करता है और उसी समय पराली को मिट्टी में मिला देता है. इससे खेत की तैयारी का समय कम होता है और मिट्टी नरम होकर फसल के लिए तैयार हो जाती है. यह मशीन किसानों को दोहरी बचत देती है—समय की और पैसे की.
मोल्डबोर्ड हल
मोल्डबोर्ड हल पुरानी लेकिन अत्यधिक प्रभावी तकनीक है. यह पराली को मिट्टी की गहराई में दबा देता है, जिससे पराली सड़कर जैविक खाद में बदलती है. इस तकनीक से मिट्टी की संरचना बेहतर होती है और पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं.
सुपर एसएमएस
सुपर एसएमएस स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम पराली को बारीक काटकर पूरे खेत में समान रूप से फैला देता है. यह मशीन कॉम्बाइन हार्वेस्टर के साथ लगाकर चलती है और पराली को तुरंत ही खाद में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देती है. इससे खेत अगली बुवाई के लिए तैयार हो जाता है और पराली खेत में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं बनती.
सरकार की सब्सिडी से किसानों को बड़ी राहत
भारत सरकार पराली प्रबंधन मशीनों पर 50 फीसदी तक सब्सिडी देती है. साथ ही, कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसान इन मशीनों को किराए पर कम दाम में प्राप्त कर सकते हैं. कई राज्यों में बायो-CNG प्लांट भी स्थापित किए जा रहे हैं, जहां पराली को ऊर्जा उत्पादन के लिए खरीदा जाता है.