Punjab News: पंजाब में कड़ाके की ठंड के बीच आसमान में बादल के साथ धुंध छाई हुई है. इस बीच प्रदेश के आलू किसानों के लिए अलर्ट जारी किया गया है, क्योंकि अब लेट ब्लाइट बीमारी फैलने के अनुकूल हालात बन रहे हैं. पिछले हफ्ते राज्य के मुख्य आलू इलाकों में तापमान 10 से 22 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा और रात में नमी 85 फीसदी से ज्यादा रही. भारी ओस की वजह से पत्तियों पर लंबे समय तक पानी जमा रहा, जिससे बीमारी तेजी से फैल सकती है. खासकर जालंधर, होशियारपुर, एसबीएस नगर, रूपनगर और कपूरथला जिले के आलू किसान विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेट ब्लाइट आलू की सबसे नुकसानदेह बीमारियों में से एक है. इसके शुरुआती लक्षण पत्तियों पर छोटे, पानी से भरे धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं, जो गोल या अनियमित आकार के हो सकते हैं. ठंडी और नम परिस्थितियों में ये धब्बे जल्दी बढ़कर बड़े, गहरे भूरे या काले धब्बों में बदल सकते हैं, जिनके चारों ओर हल्का हरा या पीला किनारा दिखाई देता है. अगर समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो यह बीमारी पूरे खेत को नुकसान पहुंचा सकती है.
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने जारी की सलाह
बढ़ते खतरे को देखते हुए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) ने आलू किसानों को सतर्क रहने और अपने खेतों पर ध्यान देने की सलाह दी है. किसानों को बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही प्रिवेंटिव स्प्रे करने की सलाह दी गई है. PAU के अनुसार, इंडोफिल M-45, एंट्राकॉल या कवच जैसे कॉन्टैक्ट फंगीसाइड को सही मात्रा में पानी में मिलाकर सात दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.
किसान इन दवाइयों का भी कर सकते हैं इस्तेमाल
अगर मौसम बीमारी के लिए अनुकूल बना रहता है, तो किसान सिस्टमिक फंगीसाइड जैसे कर्जेट M-8, मेलोडी डुओ, रिडोमिल गोल्ड, सेक्टिन 60 WG, रिवस 250 SC या इक्वेशन प्रो का उपयोग कर सकते हैं. इन्हें लगभग दस दिन के अंतराल पर निर्धारित मात्रा में छिड़कें. विशेषज्ञों ने कम मात्रा में रसायन या खुद बनाये गए मिक्सचर इस्तेमाल करने से बचने की चेतावनी दी है, क्योंकि इससे रोग का प्रतिरोधी रूप बन सकता है और भविष्य में इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है.