धान के खेत में फैली ‘चाइनीज बीमारी’..हजारों हेक्टेयर फसल पर मंडराया खतरा.. जानें बचाव के उपाय

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और सिरमौर जिले में धान की फसल में 'SRBSDV' वायरस की पुष्टि हुई है, जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई है. यह वायरस फसल की ग्रोथ रोकता है और उपज घटाता है. कृषि विभाग ने निगरानी बढ़ा दी है और किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है.

नोएडा | Updated On: 15 Sep, 2025 | 08:26 AM

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और सिरमौर जिले के कई इलाकों में धान की फसल में ‘सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV)’ की पुष्टि हुई है, जिससे किसानों और कृषि विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई है. यह वायरस धान के पौधों में गंभीर नुकसान पहुंचाता है. खास कर पौधों की ग्रोथ रूक जाती है. इसके अलावा पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और जड़ें कमजोर हो जाती हैं. यह बीमारी एक कीट व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर (WBPH) के जरिए फैलती है और इससे उपज में भारी गिरावट आ सकती है. खास बात यह है कि ‘सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV)’ पहली बार चीन में देख गया था. 

कृषि विभाग ने फील्ड सर्वे तेज कर दिया है. इस समय राज्य में लगभग 72,000 हेक्टेयर में धान की खेती हुई है, जिसमें से कांगड़ा जिले में ही 33,000 हेक्टेयर में धान बोया गया है. वर्तमान में फसल पिनैकल इनिशिएशन स्टेज में है. यानी जब पौधा बढ़ने से फलने-फूलने की ओर जाता है. खास बात यह है कि कांगड़ा जिले के रैत, फतेहपुर, कांगड़ा, इंदौरा, नगरोटा बगवां, नूरपुर, बैजनाथ और पंचरुखी ब्लॉकों में वायरस की पुष्टि हुई है. वहीं, सिरमौर जिले में यह बीमारी पांवटा घाटी क्षेत्र में देखी गई है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  कृषि विभाग किसानों को सलाह दे रहा है कि वे फसल की नियमित निगरानी करें और किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत स्थानीय कृषि अधिकारियों से संपर्क करें. कृषि मंत्री चंदर कुमार ने हाल ही में कृषि विभाग के अधिकारियों और पलमपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर SRBSDV वायरस की स्थिति का जायजा लिया. इसके बाद, किसानों की सहायता और फसलों की निगरानी के लिए एक डायग्नोस्टिक टीम बनाई गई है.

चीन में पहली बार देखा गया वायरस

यह वायरस पहली बार 2001 में चीन के ग्वांगडोंग प्रांत में पाया गया था और भारत में 2022 में पंजाब और अन्य राज्यों के धान के खेतों में देखा गया. अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो सालों में हिमाचल प्रदेश में भी इस वायरस का पता चला है. चंदर कुमार ने कहा कि विभाग इस स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है. अधिकारी और कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ समय-समय पर फील्ड विजिट कर रहे हैं और जरूरी रोकथाम के कदम उठा रहे हैं.

किसान खेत में करें ये उपाय

उत्तर जोन के अतिरिक्त कृषि निदेशक डॉ. राहुल कटोच ने कहा कि संक्रमित पौधे सामान्य आकार के आधे या एक-तिहाई रह जाते हैं. साथ ही पत्ते गहरे हरे हो जाते हैं और जड़ें अधूरी रहती हैं, जिससे पौधे आसानी से उखड़ जाते हैं. उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे हर हफ्ते अपने खेतों में जाकर पौधों को हल्के से झटकें ताकि व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर (WBPH) के नन्हे और बड़े कीट हट जाएं. संक्रमित पौधों को तुरंत निकालकर नष्ट कर देना चाहिए और खेतों में पानी जमने से बचाव करना चाहिए.

Published: 15 Sep, 2025 | 08:20 AM