92000 एकड़ धान की फसल में फैली गंभीर बीमारी, विधानसभा में गरमाया इस रोग का मुद्दा

हरियाणा में धान की 92,000 एकड़ फसल 'सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस' से प्रभावित हुई है. कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने विधानसभा में बताया कि सरकार सतर्क है और वैज्ञानिकों की निगरानी में उपाय किए जा रहे हैं.

नोएडा | Updated On: 27 Aug, 2025 | 10:44 PM

हरियाणा में इस साल धान की फसल को वायरस से बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि राज्य में कुल 40 लाख एकड़ में धान की खेती हुई है, जिसमें से 92,000 एकड़ फसल ‘सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस’ (SRBSDV) से प्रभावित हुई है. दरअसल, कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला और इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला व आदित्य देवीलाल ने कर्नाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और कैथल जिलों में इस वायरस के फैलने का मुद्दा उठाया. इसका जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार इस बीमारी को लेकर पूरी तरह सतर्क है और इससे निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और किसानों को जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि यह वायरस ऑर्गेनिक खेती और सीधे धान की बुवाई (DSR) पर असर नहीं डाल रहा है. राणा ने किसानों को सलाह दी कि अगर वे राज्य सरकार की कृषि नीति और वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार धान की खेती करें, तो इस तरह की बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है.

SRBSDV एक वायरस जनित बीमारी है

कृषि मंत्री राणा ने कहा कि SRBSDV एक वायरस जनित बीमारी है, जो धान की फसल को प्रभावित करती है और भारत के कई धान उत्पादक इलाकों में चिंता का कारण बनी हुई है. यह बीमारी एक कीट ‘व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर’ के जरिए फैलती है, जो धान के पौधों का रस चूसकर वायरस को संक्रमित पौधों से स्वस्थ पौधों तक पहुंचाता है. मंत्री ने कहा कि इस वायरस का पहला मामला हरियाणा में खरीफ 2022 के दौरान सामने आया था. लेकिन खरीफ 2023 और 2024 में जागरूकता और प्रभावी रोकथाम के कारण वायरस का कोई बड़ा प्रकोप नहीं हुआ. खरीफ 2025 से पहले भी किसानों को समय पर जानकारी दी गई और सावधानियां दोहराई गईं.

इन इलाकों में वायरस का प्रकोप ज्यादा

सबसे पहले इसके मामले कैथल जिले से सामने आए, और फिर अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, जींद और पंचकूला जिलों में भी इसकी जानकारी मिली. इन इलाकों के किसानों ने अपने खेतों में पौधों के असामान्य रूप से छोटे रह जाने की शिकायत की. मंत्री ने कहा कि यह समस्या ज्यादातर उन खेतों में देखी गई जहां 15 जून से पहले धान की रोपाई की गई थी. बता दें कि हरियाणा में बारिश के पानी से भी फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. कई इलाकों में पंप सेट से पानी खेतों से निकाला जा रहा है.

Published: 27 Aug, 2025 | 10:39 PM