आज के समय में किसान खेती के लिए पारंपरिक तरीकों को छोड़कर नए और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन तकनीकों में ड्रोन और एआई (AI) शामिल है. अब खेती में तकनीक की इस कड़ी में जल्द ही रोबोट भी देखने को मिलेंगे जो किसानों के साथ खेत में हाथ बंटाएंगे. सरकार और कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से लगातार इस पहल को सफल बनाने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि, खेतों में जल्द ही रोबोटिक तकनीक को उतारने के लिए सरकार ने कृषि वैज्ञानिकों को ट्रेनिंग देने की शुरुआत भी कर दी है. जिसमें भारत की सबसे आधुनिक कंप्यूटर तकनीक विकसित करने वाली कंपनी ने रोबोटिक तकनीक के इस्तेमाल की ट्रेनिंग देने का काम शुरू कर दिया है.
झांसी में शुरू हुआ 5 दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम
कोलकाता स्थित सी-डैक (सेंटर फॉर डेवलेपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटर) की टीम ने झांसी के रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों को रोबोटिक टेक्नोलॉजी में ट्रेनिंग देने का काम शुरू कर दिया है. बता दें कि, ये 5 दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम सी- डैक कोलकाता के संयुक्त निदेशक डॉ एके जाना के नेतृत्व में चलाया जा रहा है. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में कृषि विश्वविद्यालय के अलावा, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, आयुर्वेद महाविद्यालय और आईसीएआर (ICAR) जैसे संस्थानों के 100 से ज्यादा विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. इसका उद्देश्य खेती में रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन का ज्ञान बढ़ाना है.
ट्रेनिंग प्रोग्राम का मुख्य उद्देशय
5 दिन के इस विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत 25 अगस्त को हो चुकी है और ये प्रोग्राम 29 अगस्त 2025 तक चलेगा. जिसमें विषय एक्सपर्ट्स द्वारा ट्रेनिंग के विशेष सेशन दिए जा रहे हैं. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों को रोबोटिक तकनीक की विस्तृत जानकारी देना है. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम की मदद से रोबोटिक तकनीक में जानकारी पाकर कृषि वैज्ञानिक किसानों को इस तकनीक की खूबियों और खेती में तकनीक के इस्तेमाल के बारे में बताकर खेती को ज्यादा बेहतर और स्मार्ट बना सकेंगे.
तकनीकी रूप से मजबूत बनेगा देश
‘किसान इंडिया’ के वरिष्ठ सहयोगी निर्मल यादव से बात करते हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम के मुख्य अतिथि डॉ. आर.के. सिंह ने बताया कि देश में लगातार तकनीक में किए जा रहे नवाचारों के कारण आज भारत में रिकॉर्ड स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि देश को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि हम डिजिटल इंडिया के मिशन से जुड़ें. बता दें कि, ट्रेनिंग के दौरान चलाए जा रहे तकनीकी सेशन का नेतृत्व सी-डैक कोलकाता के वैज्ञानिक तपस सूत्रधार ने किया.