भेड़ पालन से 6 लाख कमाकर बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला रहे किसान बिहारी, इंटीग्रेटेड फार्मिंग मेथड अपना रहे

बिहारी की सफलता की कहानी इस बात का सबूत है कि अगर इंसान ठान लें तो अपनी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से आगे बढ़ने के साथ जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकता है.

गोरखपुर | Published: 27 Aug, 2025 | 09:00 AM

कहते हैं कि एक आदमी अपने परिवार की खुशी और बच्चों की अच्छी पढ़ाई-लिखाई के लिए बहुत सी कुर्बानी देता है. अपनी रात की नींद को कुर्बान कर वो बच्चों को सोने के लिए एक छत देता है. इसी कहावत को सच साबित किया है सिद्धार्थनगर के एक किसान ने, जो भेड़ पालन के साथ-साथ कई अन्य फसलों की खेती कर मेहनत से पैसा कमाते हैं ताकि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा पा सकें.  दरअसल, ये कहानी है उत्तर प्रदेश के सिद्वार्थनगर जिले के रहने वाले किसान बिहारी की जो भेड़ पालन और खेती से तो कमाई कर ही रहे हैं बल्कि भेड़ के बालों को बेचकर भी अच्छी आमदनी कर रहे हैं. बिहारी के पिता को पीएम किसान सम्मान निधि भी मिलती है जिसकी वे बहुत तारीफ करते हैं.

पिता के साथ हुई खेती की शुरुआत

उत्तर प्रदेश के सिद्वार्थनगर जिले मे विकास खण्ड डुमरियागंज क्षेत्र के भानपुर रानी (चुलहई डीह) गांव में रहने वाले 35 साल के किसान बिहारी एक किसान परिवार से आते हैं. वे बताते हैं कि भेड़ पालन और खेती का सिलसिला बचपन से उनके पिता आनंद राम के साथ शुरू हुआ. वे बताते हैं कि बचपन में वे खेतों में जाकर अपने पिता की मदद किया करते थे. उन्होंने बताया कि जब वे 9 साल के थे तभी से उनका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता था. इसके बाद पिता की तबियत खराब होने पर उन्होंने खेती और भेड़ चराने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली. बिहारी बताते हैं कि उन्होंने बचपन से ही बैलों से जुताई करना और पशुओं की देखभाल करना सीख लिया था.

भेड़ पालन के साथ करते हैं खेती

किसान बिहारी बताते हैं कि वर्तमान में उनके पास 30 भेड़े हैं जिन्हें वे खुद चराते हैं और कई बार तो ऐसा होता है कि वे घर नहीं आते,रात में भेड़ों की रखवाली के लिए उनके साथ ही रहते हैं. बता दें कि, बिहारी खुद केवल कक्षा 2 तक पढ़े हैं, लेकिन अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए वे दिन-रात मेहनत करते हैं. कड़ी मेहतन से खेती और पशुपालन करने से उन्हें जो कमाई होती है, ये उसी की नतीजा है कि आज  उन्होंने अपने दोनों बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला दिलाया है. इसके अलावा बिहारी खुद ही अपनी 8 बीघा जमीन पर गन्ना और 4 बीघा जमीन पर धान की खेती करते हैं. अपनी भेड़ों की सुरक्षा के लिए उन्होंने एक कुत्ता भी पाला है. इसके अलावा बिहारी भेड़ से मिलने वाले 4 से 5 क्विंटल बालों को बेचकर भी अतिरिक्त कमाई करते हैं. बिहारी पशुपालन के साथ खेती करके इंटीग्रेटेड फार्मिंग मेथड अपना रहे हैं और अन्य लोगों को प्रेरित कर रहे हैं.

Sheep Farming

अपनी 30 भेड़ों को खुद ही चराते हैं बिहारी

चुनौतियों का डट कर सामना किया

बिहारी बताते हैं कि उनके इस सफर में उन्हें बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बिहारी बताते हैं कि खेती करने के लिए जरूरी संसाधनों की कमी थी. पशुओं की सेहत के लिए पशु चिकित्सकों से मिलना मुश्किल होता था. दवाएं लेने के लिए बहुत दूर तक पैदल ही जाना पड़ता था.  बरसात के दिनों में पानी और ठंड से खुद को बचाने के लिए उन्हें पेड़ों और प्लास्टिक का सहारा लेना पड़ता था. खेतों में सांप, बिच्छू और जंगली जानवरों का डर हमेशा बना रहता था. इसके अलावा उन्हें खेतों की जुताई भी धूप निकलने से पहले करनी पड़ती थी.

सालाना 6 लाख तक होती है कमाई

बिहारी बताते हैं कि उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई है और आज उनकी स्थिति में बहुत सुधार आया है. आर्थिक रूप से भी वे मजबूत हुए हैं. बिहारी बहुत उत्साह के साथ बताते हैं कि वर्तमान में सालाना करीब 5 से 6 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि आज उनके घर में दो मोबाइल, टीवी, कूलर, पंखा आदि सभी सुविधाएं हैं. बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल से अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही, खेती, ट्रैक्टर और पशुपालन से सम्मान और समृद्धि मिली है, वे बताते हैं कि गांव में आज उनकी अच्छी पहचान है.

Safal Kisan

सिद्धार्थनगर के सफल किसान बिहारी

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है बिहारी

बिहारी की सफलता की कहानी इस बात का सबूत है कि अगर इंसान ठान लें तो अपनी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से आगे बढ़ने के साथ जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकता है. इसके साथ ही बिहारी ये भी संदेश देते हैं कि गांव में रहने वाला कम पढ़ा-लिखा इंसान भी अपनी समझदारी और मेहनत से खुद को मजबूत बना सकता है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.

Published: 27 Aug, 2025 | 09:00 AM