जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में चेरी किसानों को उचित ट्रांसपोर्ट व्यवस्था नहीं होने के चलते आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि बेहतर परिवहन व्यवस्था न होने की वजह से हमारी उपज समय पर मार्केट में नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में गर्मी के चलते चेरी रास्ते में ही खराब हो जा रहे हैं. इससे आर्थिक नुकसान बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि, रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि पार्सल वैन को अब विवेक एक्सप्रेस ट्रेन से जोड़ा जाएगा. इससे चेरी की बर्बादी नहीं होंगे और किसानों की उपज समय पर मार्केट में पहुंच जाएगी.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू रेलवे डिवीजन ने पहली बार कटरा स्टेशन से मुंबई के बांद्रा स्टेशन तक एक पूरी पार्सल वैन चलाने के लिए वीपी इंडेंट (विशेष अनुरोध) भेजा है. यह 25 टन माल ढोने वाली वैन ट्रेन से जुड़ी होगी और 1,883 किलोमीटर की दूरी 30 घंटे में तय करेगी. रेलवे के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि पार्सल वैन को अब विवेक एक्सप्रेस ट्रेन से जोड़ा जाएगा. ऑल कश्मीर फ्रूट ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने कहा कि यह फैसला नॉर्दर्न रेलवे, जम्मू के सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर (DCM) उचीत सिंघल और फल कारोबार से जुड़े लोगों की बैठक के बाद लिया गया है.
हर साल 12,000 टन होता है चेरी उत्पादन
बशीर अहमद बशीर ने कहा कि चेरी की ढुलाई 1 जून से शुरू होगी. अभी शुरुआती किस्मों जैसे बुल्गेरियन और मखमली की तुड़ाई चल रही है, जिससे चेरी सीजन की शुरुआत मानी जाती है. कश्मीर घाटी में हर साल करीब 10,000 से 12,000 मीट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है. ये फल श्रीनगर, गांदरबल, शोपियां, बांदीपोरा और बारामुला जिलों की 2,800 हेक्टेयर जमीन पर उगाए जाते हैं.
सरकार के फैसले से किसान खुश
वहीं, चेरी उत्पादक किसान गुलाम मोहम्मद चोपन ने कहा कि पहली बार सरकार कटरा से मुंबई तक माल ढोने वाली ट्रेन चला रही है. अब हमारी फसल समय पर थोक बाजारों तक पहुंच जाएगी. इससे मुनाफा में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि शोपियां जिले के पीरपोरा गांव के चेरी किसान पहले बार-बार नुकसान झेलते थे, क्योंकि गर्मी में फसल समय पर मार्केट में नहीं पहुंच पाती थी और खराब हो जाती थी.
ट्रेन से होगी चेरी की सप्लाई
हालांकि, अब तक रेलवे परिवहन की सुविधा न होने के कारण चेरी किसानों को बड़ी परेशानी होती थी. चेरी जल्दी खराब होने वाला फल है, इसलिए समय पर डिलीवरी न हो पाने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था. सड़क मार्ग से देर होने पर फल खराब हो जाता था, जबकि हवाई माल ढुलाई किसानों के लिए काफी महंगी पड़ती थी. एक किलो चेरी भेजने पर हवाई किराया 40 रुपये से 50 रुपये तक होता है, जबकि ट्रेन से यही खर्च सिर्फ 8 रुपये आता है. अब पार्सल ट्रेन सेवा शुरू होने से चोपन जैसे किसान उम्मीद कर रहे हैं कि उनका माल दूर-दराज के बाजारों तक जल्दी, ताजा और सस्ते में पहुंचेगा.