कैसे होती है हींग की खेती? जानें स्टेप बाय स्टेप तरीका

हाल के वर्षों में भारतीय सरकार ने हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाए हैं, खासकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में इसकी खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

Kisan India
Agra | Published: 7 Mar, 2025 | 05:50 PM

भारतीय रसोई में हींग (Asafoetida) अपने स्वाद और खुशबू के लिए पहचानी जाती है. यह न केवल स्वाद बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है. हालांकि, भारत में हींग का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन इसकी खेती बहुत कम स्थानों पर की जाती है.

हाल के वर्षों में भारतीय सरकार ने हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाए हैं, खासकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में इसकी खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ऐसे में किसानों के पास हींग की खेती करने का सुनहरा अवसर है. आइए जानते हैं हींग की खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी.

क्या है हींग? 

हींग का वैज्ञानिक नाम Ferula Asafoetida है. यह एक झाड़ीदार पौधा है, जो मूल रूप से ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है. अब भारत में भी इसकी व्यावसायिक खेती शुरू हो चुकी है.

हींग की खेती की प्रक्रिया:

 

मौसम और जलवायु

हींग ठंडी और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है. इसके लिए 15°C से 25°C तापमान सबसे उपयुक्त होता है. ज्यादा नमी और बारिश हींग के पौधे को खराब कर सकती है. ऐसे में बीज बोने के लिए अगस्त-सितंबर सबसे अच्छा समय माना जाता है.

मिट्टी

हींग की खेती के लिए रेतीली, दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए.

बीज और रोपाई

हींग की खेती बीजों से की जाती है. अंकुरण बढ़ाने के लिए बीजों को 1 से 2 दिनों तक पानी में भिगोकर रखा जाता है. इसके पौधों को 20-30 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए, ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके.

खेत की तैयारी और सिंचाई

हींग के पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती. जब मिट्टी सूखने लगे, तभी हल्की सिंचाई करें. पानी का अधिक जमाव जड़ों को सड़ा सकता है.

कीट और रोग नियंत्रण

हींग के पौधों में फफूंदी और जड़ सड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे बचने के लिए पानी का जमाव न होने दें. कीटों से बचाने के लिए नीम के तेल या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें.

कटाई और उत्पादन

हींग का पौधा लगभग 5 साल में पूरी तरह विकसित होता है. पौधों की जड़ों से निकलने वाला दूधिया रस ही असली हींग होता है, जिसे निकालकर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इसका रंग हल्का पीला या भूरा हो जाता है और यही बाजार में हींग के रूप में बेचा जाता है.

हींग की खेती से कमाई

हींग की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है और इसकी कीमत भी काफी अधिक होती है. एक हेक्टेयर में हींग की खेती की लागत लगभग 3 लाख रुपये और फसल से संभावित मुनाफा10 लाख रुपये तक होता है. इस वक्त हींग की बाजार में मौजूदा कीमत ₹40,000 से ₹45,000 प्रति किलो है.

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Published: 7 Mar, 2025 | 05:50 PM

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