गन्ना उत्पादन बढ़ाने को लेकर ISMA की कृषि मंत्रालय के साथ बैठक, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

ISMA ने DFPD और कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर गन्ना उत्पादन को टिकाऊ बनाने पर बैठक की. बैठक में किसानों की आमदनी बढ़ाने, जलवायु-रोधी किस्में, नीति सुधार और तकनीकी नवाचार पर जोर दिया गया. सभी हितधारकों ने मिलकर समाधान खोजने की जरूरत बताई.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 13 Jun, 2025 | 06:42 PM

गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी है. आने वाले समय में गन्ना उत्पादन और गन्ना किसानों की कमाई में बढ़ोतरी होगी. क्योंकि इसके लिए ISMA हर स्तर पर तेजी से काम कर रहा है. इसकी यही कोशिश है कि गन्ना किसानों को अच्छी और टिकाऊ बीज मिले, ताकि फसल में रोग न लगे और पैदावार भी अच्छी हो. ये बातें ISMA के अध्यक्ष गौतम गोयल ने कही हैं.

दरअसल, ISMA ने DFPD और कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर दिल्ली में ‘भारत में टिकाऊ गन्ना उत्पादन बढ़ाने’ को लेकर बैठक की. इस बैठक में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक, उद्योग जगत के प्रमुख लोग और अन्य संबंधित हितधारक शामिल हुए. बैठक में चर्चा का मुख्य फोकस किसानों की आमदनी बढ़ाना, गन्ना उत्पादन को टिकाऊ बनाना और शुगर व बायो-एनर्जी सेक्टर को नई दिशा देना था.

इस दौरान ISMA के अध्यक्ष गौतम गोयल ने कहा कि गन्ना उद्योग एक गंभीर मोड़ पर है और अब सिस्टम में बड़े बदलाव की जरूरत है. उन्होंने इस संकट से निपटने के लिए छह बिंदुओं वाली योजना रखी, जिसमें गन्ने की नई और विविध किस्में, जीनोम तकनीक और रिसर्च, स्थानीय स्तर पर बीज प्रणाली मजबूत करना, जलवायु-समझदारी से खेती, नीति सुधार और ‘नेशनल मिशन ऑन शुगरकेन’ की शुरुआत शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस साल की दिक्कतें कोई एक बार की घटना नहीं हैं, बल्कि यह संकेत हैं कि हमें अपने पूरे सिस्टम को दोबारा सोचने की जरूरत है. अगर हम साथ मिलकर काम करें, तो किसानों की आमदनी बढ़ा सकते हैं, इंडस्ट्री को स्थिर बना सकते हैं.

शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टिट्यूट की साझेदारी की तारीफ की

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) में संयुक्त सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने कहा कि गन्ना क्षेत्र कई चुनौतियों से जूझ रहा है. इसका मुख्या कारण मौसम का बदलता मिजाज, रोग फैलना और आर्थिक दबाव है. लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारे पास ठोस आधार मौजूद हैं, जैसे मजबूत नीति ढांचा, अग्रणी रिसर्च संस्थान और मेहनती किसान. उन्होंने ISMA और ICAR-शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टिट्यूट की साझेदारी की तारीफ की, जो कई इलाकों के लिए जलवायु-रोधी और अधिक उपज देने वाली किस्मों पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नई खोजें सीधे खेतों तक पहुंचे और उसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को मिले.

नीति-निर्माता और इंडस्ट्री एक मंच पर आएं

ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि संगठन किसानों, वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं और इंडस्ट्री को एक मंच पर लाकर समाधान खोजने के लिए लगातार काम करता रहेगा. उन्होंने कहा कि अगर हमें गन्ना उद्योग को भविष्य में टिकाऊ बनाना है, तो मिलकर काम करना और नई सोच अपनाना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद हर किसान तक नई तकनीक और जानकारी पहुंचाना है, ताकि उपज बढ़े और जोखिम कम हो.

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है और यह सेक्टर 5.5 करोड़ से ज्यादा किसानों और श्रमिकों की रोजी-रोटी का आधार है. देश की 535 शुगर मिलें हर साल किसानों को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान करती हैं, जिससे यह इंडस्ट्री ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय विकास की रीढ़ बन गई है. हालांकि, हाल के वर्षों में उत्पादन घटने, खेती के क्षेत्र में कमी और कीटों के हमले जैसी समस्याओं के कारण किसानों की आमदनी पर असर पड़ा है और इंडस्ट्री को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

Published: 13 Jun, 2025 | 06:32 PM

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