धनिया निर्यात में 52 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट, किसानों और व्यापारियों की बढ़ी मुश्किलें

भारत के मसाला बोर्ड के अनुसार, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच धनिया का निर्यात मात्र 42,829 टन रहा, जो पिछले साल के इसी समय की तुलना में 52 फीसदी कम है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 3 Jun, 2025 | 07:53 AM

मई 2025 में धनिया की कीमतों में करीब 4 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. इसका मुख्य कारण बेहतर फसल अनुमान और निर्यात में भारी कमी है. पिछले साल की तुलना में इस बार फसल की मात्रा बढ़ने से बाजार में धनिया की आपूर्ति बढ़ गई, जिससे दामों पर दबाव पड़ रहा है. वहीं, निर्यात में 52 फीसदी की गिरावट ने भी व्यापारियों की चिंता बढ़ाई है.

बेहतर मौसम से बढ़ी फसल, कीमतों पर असर

शुरुआती अनुमान के मुताबिक 2025 की धनिया की फसल करीब 94 से 95 लाख बोरियां होगी, लेकिन मौसम के अनुकूल रहने से उत्पादन बढ़कर लगभग 110 लाख बोरियों तक पहुंच गया. फूल आने और फल बनने के दौरान अच्छी बारिश और तापमान ने किसानों को अच्छी पैदावार दी. फसल के बढ़ने से बाजार में धनिया की उपलब्धता बढ़ गई, जिससे दामों में गिरावट आई. यह खबर मिलने के बाद खरीदारों और विक्रेताओं में नकारात्मक भावना बनी.

निर्यात में भारी गिरावट, मांग कमजोर

भारत के मसाला बोर्ड के अनुसार, अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच धनिया का निर्यात मात्र 42,829 टन रहा, जो पिछले साल के इसी समय की तुलना में 52 फीसदी कम है. पश्चिम एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों में मांग घटने के कारण निर्यात में यह भारी कमी आई है. महीने-दर-महीने निर्यात में केवल 1 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई, लेकिन कुल मिलाकर निर्यात का माहौल कमजोर रहा. इस वजह से घरेलू बाजार में भी खरीददारी धीमी रही और व्यापारी अब निर्यात की स्थिति में सुधार का इंतजार कर रहे हैं.

गुणवत्ता की समस्या से मंदी और बढ़ी

मंदी के दौरान, विशेषकर नीमच और कोटा मंडियों में बारिश के कारण धनिया में नमी की समस्या देखी गई. इससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित हुई और खराब उत्पादों की कीमतें कम हो गईं. इस कारण मंडी में औसत दाम भी गिर गए. हालांकि अच्छी क्वालिटी वाले धनिया की कीमत स्थिर रही, और कोटा मंडी में 21 मई 2025 तक 1,320 रुपये प्रति क्विंटल तक बनी रही. स्थानीय मांग और पिछले सीजन की सीमित बची हुई फसल ने कीमतों को थोड़ी मजबूती दी.

आने वाले समय में संभावनाएं

मई में देश भर में धनिया की आवक अप्रैल की तुलना में लगभग 64.5 फीसदी कम होकर 21,055 टन रह गई. इस कमी ने अल्पकालिक तौर पर दामों को और गिरने से रोका. साथ ही, राजस्थान और मध्य प्रदेश के मसाला पार्कों में कोल्ड स्टोरेज की क्षमता बढ़ाई जा रही है, जिससे फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. जुलाई 2025 तक 2,000 टन अतिरिक्त भंडारण क्षमता तैयार होने की उम्मीद है. इसके अलावा, वाणिज्य मंत्रालय ने 25 करोड़ रुपये की SFURTI योजना शुरू की है, जो जैविक और मूल्य वर्धित धनिया निर्यात को बढ़ावा देगी.

बाजार की चाल

तकनीकी रूप से देखें तो धनिया के फ्यूचर्स बाजार ने निचले स्तरों पर समर्थन पाया है. व्यापारियों के लिए 6,950 रुपये के आसपास खरीदारी करना लाभकारी हो सकता है, जबकि 6,650 रुपये पर स्टॉप-लॉस रखना चाहिए. कीमतों के बढ़कर 7,600 रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है क्योंकि फसल की आवक कम होने और सरकारी मदद से बाजार में धीरे-धीरे सुधार आ सकता है.

इस तरह, बेहतर उत्पादन के बावजूद निर्यात में कमी और गुणवत्ता की चुनौतियों ने धनिया के दामों पर दबाव डाला है. लेकिन सरकारी प्रयास और भंडारण सुविधाओं के विस्तार से आने वाले महीनों में स्थिति सुधरने की संभावना है.

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