झारखंड के खेत मजदूर बने लखपति किसान, MFDP से खेती बनी मुनाफे का सौदा

अब खेती केवल फसल उगाने का काम नहीं रह गया, बल्कि यह एक लाभकारी और आत्मनिर्भर व्यवसाय बन चुका है.

Kisan India
नोएडा | Published: 3 Aug, 2025 | 09:20 PM

झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में खेती लंबे समय से जीविका का एकमात्र साधन रही है, लेकिन इसमें लाभ कम होने के कारण अधिकतर किसान खेत मजदूर बनकर ही रह जाते थे. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. Transform Rural India (TRI) संस्था द्वारा चलाया जा रहा Millionaire Farmer Development Programme (MFDP) राज्य के किसानों की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल रहा है. अब खेती केवल फसल उगाने का काम नहीं रह गया, बल्कि यह एक लाभकारी और आत्मनिर्भर व्यवसाय बन चुका है.

खेती से मजदूरी तक और फिर लखपति बनने का सफर

रांची जिले के धुरलेता गांव के हरिचरण उरांव कभी खेतों में दूसरों के लिए मजदूरी करते थे. उनके पास पांच एकड़ जमीन थी, लेकिन आधुनिक जानकारी के अभाव में वे उसे पूरी तरह उपयोग नहीं कर पाते थे. MFDP से जुड़ने के बाद उन्हें जैविक खेती, मिट्टी परीक्षण, उन्नत बीज और सिंचाई प्रबंधन जैसी तकनीकों की ट्रेनिंग मिली. उन्होंने टमाटर, मिर्च, भिंडी जैसे नगदी फसलों के साथ फसल विविधीकरण अपनाया. नतीजा यह हुआ कि उनकी सालाना आय 2.65 लाख रुपये से बढ़कर 10.75 लाख रुपये हो गई.

MFDP का प्रभाव: खेती में नवाचार और तकनीक का मेल

MFDP कार्यक्रम के तहत किसानों को उन्नत बीज, मल्चिंग तकनीक, ग्रीनहाउस और ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकें सिखाई जा रही हैं. जल संरक्षण, जैविक खाद निर्माण और कीट प्रबंधन पर विशेष फोकस किया गया है. साथ ही किसानों को बाजार से सीधे जोड़ने की व्यवस्था की गई है जिससे उन्हें अपनी उपज का सही दाम मिल सके. इससे खेती अब घाटे का नहीं, बल्कि मुनाफे का सौदा बन चुकी है.

सामुदायिक भागीदारी और पारदर्शिता से किसान बन रहे प्रेरणा स्रोत

MFDP की सबसे खास बात इसकी चयन प्रक्रिया है. किसानों का चयन TRI टीम, ग्राम संगठन और क्लस्टर फेडरेशन के सहयोग से किया जाता है. चयन में किसान की मेहनत, सीखने की इच्छा और गांव में दूसरों को प्रेरित करने की क्षमता को प्राथमिकता दी जाती है. इससे न सिर्फ चयनित किसान आगे बढ़ते हैं, बल्कि पूरा गांव एक साथ विकास की राह पर चल पड़ता है.

लखपति किसान: आत्मनिर्भरता और सामाजिक बदलाव की नई पहचान

TRI संस्था के वरिष्ठ सदस्य बापी गोराई के अनुसार, झारखंड में अब तक 65 से अधिक किसान मिलियनेयर फार्मर बन चुके हैं। ये किसान न सिर्फ खेती कर रहे हैं, बल्कि कृषि-आधारित व्यवसाय भी चला रहे हैं जैसे सब्जी विक्रय केंद्र, बीज भंडारण, और जैविक खाद निर्माण. इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी है, बल्कि उनके परिवार की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति में भी सुधार आया है. खेती अब झारखंड के गांवों में आत्मनिर्भरता और विकास का दूसरा नाम बन गई है.

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Published: 3 Aug, 2025 | 09:20 PM

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