भारत की जमीन से उगा एक छोटा-सा फल अब लंदन के बाजारों में अपना स्वाद बिखेरने पहुंच गया है. कर्नाटक से पहली बार 250 किलोग्राम ताजा जामुन की खेप लंदन भेजी गई है, जिसे वहां के उपभोक्ताओं से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है. यह न केवल किसानों की मेहनत का सम्मान है, बल्कि भारत के फल निर्यात में भी एक बड़ी और ऐतिहासिक शुरुआत है.
सूखे इलाकों से निकली मिठास की कहानी
कर्नाटक के कोलार, चिक्कबल्लापुर, तुमकुरु, बल्लारी और कोप्पल जैसे जिले सूखा प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं. लेकिन इन इलाकों में जामुन की अच्छी खेती होती है, और यही इलाके इस फल के सबसे बड़े उत्पादक बनकर उभरे हैं. स्थानीय किसान सालों से जामुन उगाते रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच पाना अब जाकर संभव हुआ है.
पहली खेप बेंगलुरु से लंदन तक
यह ताजा जामुन एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) से नेलमंगला क्षेत्र में इकट्ठा किया गया और 19 जून को बेंगलुरु एयरपोर्ट से लंदन के लिए रवाना किया गया. 23 जून को लंदन पहुंचते ही इस खेप ने एक नया कीर्तिमान रच दिया.
किसान बोले अब उम्मीद जगी है
डेकेन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार सिदलघट्टा के किसान महेश कहते हैं कि जामुन का घरेलू बाजार बहुत अस्थिर है कभी 300 रुपये किलो बिकता है, तो कभी 10 रुपये किलो भी नहीं मिलता. कई बार उन्होंने अपने खेत के जामुन इसलिए नहीं तोड़े क्योंकि मजदूरी और परिवहन का खर्च उपज से ज्यादा होता था. उनका कहना है कि अगर विदेशों में मांग बढ़ेगी, तो स्थानीय बाजार में भी दाम स्थिर होंगे.
निर्यात से आएगा बदलाव
APEDA (एपीडा) के महाप्रबंधक यू. धर्मा राव ने कहा कि ताजे जामुन का यह पहला निर्यात है, और अब अमेरिका, यूरोप और मिडिल ईस्ट जैसे बड़े बाजारों की ओर भी देखा जा रहा है. अभी तक भारत केवल जमे हुए या पाउडर रूप में जामुन का निर्यात करता था, लेकिन अब ताजे फल की अंतरराष्ट्रीय यात्रा ने नए दरवाजे खोल दिए हैं.
तकनीक और प्रोसेसिंग से बढ़ेगा विस्तार
फूड एंटरप्रेन्योर पार्थसारथी नारा मानते हैं कि अगर भारत प्रोसेसिंग और पैकेजिंग पर ध्यान दे, तो जामुन जैसे फलों का निर्यात कई गुना बढ़ सकता है. इसका फायदा सीधे किसानों को मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.