ओमान के बाजार में पहुंचा कर्नाटक का देसी नींबू, जीआई-टैग इंडी लाइम ने बनाई पहचान

इंडी लाइम का ओमान पहुंचना इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता, यानी CEPA, लागू हुआ है. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान बनाना और भारतीय उत्पादों के लिए नए बाजार खोलना है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 20 Dec, 2025 | 01:53 PM

भारत के कृषि निर्यात क्षेत्र के लिए यह एक उत्साहजनक पल है. कर्नाटक के विजयपुरा जिले में उगने वाला जीआई-टैग प्राप्त इंडी लाइम यानी देसी नींबू अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी अलग पहचान बना रहा है. 19 दिसंबर 2025 को 3 मीट्रिक टन इंडी लाइम की पहली खेप ओमान के लिए रवाना की गई, जिससे इस खास भारतीय फल ने खाड़ी देशों के बाजार में औपचारिक रूप से प्रवेश कर लिया.

भारत–ओमान व्यापार समझौते से मिली रफ्तार

इंडी लाइम का ओमान पहुंचना इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता, यानी CEPA, लागू हुआ है. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान बनाना और भारतीय उत्पादों के लिए नए बाजार खोलना है. कृषि और खाद्य उत्पाद इस समझौते के प्रमुख लाभार्थी माने जा रहे हैं. इंडी लाइम की सफल खेप यह संकेत देती है कि इस समझौते से भारतीय किसानों और निर्यातकों को सीधे तौर पर फायदा मिलना शुरू हो गया है.

दुबई से शुरू हुई थी अंतरराष्ट्रीय यात्रा

इंडी लाइम की वैश्विक यात्रा की शुरुआत अगस्त 2025 में हुई थी, जब 24 अगस्त को 3 मीट्रिक टन की पहली खेप दुबई भेजी गई. वहां इस देसी नींबू को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली. खाड़ी देशों में इसकी खुशबू, ज्यादा रस और लंबी शेल्फ लाइफ को खूब सराहा गया. इसी सकारात्मक प्रतिक्रिया का नतीजा रहा कि दुबई के लिए बाद में लगभग 12 मीट्रिक टन इंडी लाइम का निर्यात किया गया, जो शुरुआती मात्रा से चार गुना ज्यादा था.

यूरोप तक पहुंचा देसी स्वाद

सिर्फ खाड़ी देश ही नहीं, बल्कि यूरोप में भी इंडी लाइम की मांग बनती दिख रही है. बाजार विविधीकरण के तहत 350 किलोग्राम जीआई-टैग इंडी लाइम यूनाइटेड किंगडम को भी निर्यात किया गया है. अब तक विजयपुरा जिले से कुल 12.35 मीट्रिक टन इंडी लाइम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजा जा चुका है, जो इस क्षेत्र के किसानों के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.

जीआई टैग से मिला प्रीमियम फायदा

इंडी लाइम को मिला जीआई टैग इसकी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है. यह टैग इस बात की गारंटी देता है कि फल एक खास भौगोलिक क्षेत्र से आता है और उसकी गुणवत्ता अलग है. यही वजह है कि वैश्विक बाजार में इसे बेहतर कीमत मिल रही है. APEDA जीआई-टैग वाले कृषि उत्पादों के प्रचार, ब्रांडिंग और निर्यात में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, ताकि भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतर सकें.

किसानों की आय को मिला नया सहारा

इस निर्यात से विजयपुरा जिले के किसानों को सीधा लाभ मिला है. अब वे सिर्फ घरेलू मंडियों के उतार-चढ़ाव पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि प्रीमियम अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक उनकी पहुंच बन रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इंडी लाइम की यह सफलता भारत को क्षेत्र-विशिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों का भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो आने वाले वर्षों में देश के कृषि-निर्यात को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है.

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