Bihar Agriculture News: बिहार के ग्रामीण इलाकों में पशुपालन किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया है. लेकिन कई बार किसान शिकायत करते हैं कि उनके पशु पहले की तुलना में कम दूध देने लगे हैं. ऐसे में वे बाजार से महंगे सप्लीमेंट और फीड खरीदते हैं, जो हर किसी की पहुंच में नहीं होता. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और गव्य विकास निदेशालय ने कुछ ऐसे घरेलू और देसी उपाय सुझाए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान कम खर्च में अधिक दूध उत्पादन पा सकते हैं. आइए जानते हैं वो आसान उपाय, जो आपके पशु की सेहत भी सुधारेंगे और दूध भी बढ़ेगा.
हरा चारा खिलाएं, दूध बढ़ता है तेजी से
हरा चारा पशुओं के लिए बेहद पौष्टिक और पसंदीदा भोजन होता है. इसमें मौजूद प्रोटीन, फाइबर और खनिज जैसे पोषक तत्व पशुओं की पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं. इससे दूध उत्पादन में भी स्पष्ट बढ़ोतरी देखी जाती है. किसानों को चाहिए कि वे अपने गाय-भैंस को नियमित रूप से हरा चारा जरूर दें. बरसीम, नेपियर घास, ज्वार और मक्का जैसे हरे चारे खासतौर पर फायदेमंद माने जाते हैं. ध्यान रहे कि चारा ताजा, साफ और संक्रमण मुक्त हो, ताकि पशु स्वस्थ रहें और बीमारी का कोई खतरा न हो.
दाने में मिलाएं मेथी, अलसी और सरसों की खली
सिर्फ चारा ही नहीं, दाने में भी थोड़ा फेरबदल करके आप दूध बढ़ा सकते हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर दाने में थोड़ी मात्रा में मेथी दाना, अलसी और सरसों की खली मिलाई जाए, तो इससे पशु की भूख भी बढ़ती है और दूध की ग्रंथियां भी सक्रिय होती हैं. इन चीजों को पिसकर दाने में मिलाएं और प्रतिदिन एक सीमित मात्रा में गाय-भैंस को दें.
यह उपाय खास तौर पर उन पशुओं के लिए असरदार होता है जो कम खाना खाते हैं या कमजोरी महसूस कर रहे हों.
देसी नुस्खा, असर दमदार
ग्रामीण इलाकों में बहुत से किसान आज भी पुराने देसी नुस्खे अपनाते हैं. उनमें से एक है गुड़ और अदरक का मिश्रण. अदरक पाचन शक्ति बढ़ाता है और गुड़ शरीर में ऊर्जा का संचार करता है.
- थोड़ी मात्रा में अदरक कूटकर उसमें गुड़ मिलाएं
- यह मिश्रण दिन में एक बार गाय या भैंस को खिलाएं
यह उपाय खास तौर पर सर्दियों में ज्यादा फायदेमंद होता है, जब पशु सुस्त पड़ जाते हैं और दूध की मात्रा घट जाती है.
साफ-सफाई और पानी पर भी दें ध्यान
दूध उत्पादन सिर्फ अच्छे चारे और दाने से ही नहीं, बल्कि साफ-सुथरे वातावरण से भी जुड़ा होता है. अगर पशु के रहने की जगह गंदी, कीचड़ भरी या नमी वाली हो, तो वह बीमार पड़ सकता है और इससे दूध की मात्रा घट जाती है. इसलिए जरूरी है कि बाड़ा हमेशा सूखा और साफ रखा जाए. मच्छर-मक्खियों से बचाने के लिए नीम के पत्ते या लोबान का धुआं करना फायदेमंद होता है. साथ ही, पशुओं को स्वच्छ और भरपूर पानी मिलना चाहिए ताकि उनका शरीर हाइड्रेटेड रहे और पाचन क्रिया भी सही ढंग से काम करती रहे.
नियमित टीकाकरण और परामर्श भी है जरूरी
देसी उपाय तभी काम करते हैं जब पशु पूरी तरह स्वस्थ हो. इसके लिए जरूरी है कि पशुओं का नियमित टीकाकरण होता रहे और अगर कोई कमजोरी या बीमारी दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लिया जाए. बिहार सरकार द्वारा कई जगहों पर पशु चिकित्सा शिविर भी लगाए जा रहे हैं जहां किसान मुफ्त में जांच और सलाह ले सकते हैं.