प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक मणिपुरी व्यक्ति के अपने दूरदराज के गांव में बिजली लाने के प्रयास को सराहा. उन्होंने बताया कि कैसे उस व्यक्ति ने सौर ऊर्जा में समाधान ढूंढा, जिससे इलाके के सैकड़ों घरों में रोशनी आई. इसके अलावा उन्होंने कृषि के क्षेत्र में काम कर रहीं मणिपुर की प्रगतिशील किसान चोखोने क्रिचेना का जिक्र किया है और उनके जैविक उत्पादों की सराहना की.
बिजली संकट दूर करने के लिए सोलर ऊर्जा को बनाया विकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि मणिपुर के श्रीराम मोइरांगथेम ने बिजली संकट को दूर करने के लिए सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल किया. कहा कि 40 साल के इस व्यक्ति ने एक बार फिर पुरानी कहावत ‘जहां चाह, वहां राह’ को सच साबित कर दिया है, जब उसने मणिपुर में अपने इलाके में बिजली की बड़ी समस्या को हल किया.
श्रीराम की कोशिश से सैकड़ों घरों में रोशनी आई
बिजली की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने की चुनौती से निपटने के लिए, मोइरांगथेम ने स्थानीय समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया. प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे मणिपुर में वैसे भी सौर ऊर्जा बनाना आसान है. इसलिए, मोइरांगथेम ने सोलर पैनल लगाने का अभियान शुरू किया और इस अभियान की वजह से आज उनके इलाके के सैकड़ों घरों में सौर ऊर्जा पहुंच गई है.पीएम मोदी ने कहा कि खास बात यह है कि मोइरांगथेम ने स्वास्थ्य सेवा और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया है.
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पीएम ने सूर्यघर बिजली योजना का भी जिक्र किया
पीएम ने कहा कि आज उनके प्रयासों के कारण मणिपुर के कई स्वास्थ्य केंद्रों को भी सौर ऊर्जा मिल रही है. मणिपुर की महिलाओं को भी इस प्रयास से बहुत फायदा हुआ है. स्थानीय मछुआरों और कलाकारों को भी इससे मदद मिली है. प्रधानमंत्री ने अपने सरकार के घरों को सौर ऊर्जा प्रदान करने के प्रमुख कार्यक्रम के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत, सरकार सोलर पैनल लगाने के लिए हर लाभार्थी परिवार को लगभग 75,000 रुपये से 80,000 रुपये दे रही है. उन्होंने कहा कि मोइरांगथेम के प्रयास व्यक्तिगत हैं, लेकिन वे सौर ऊर्जा से जुड़े हर अभियान को नई गति दे रहे हैं.
पारंपरिक खेती के लिए चोखोने क्रिचेना को सराहा
मणिपुर से ही एक और उदाहरण सेनापति जिले की रहने वाली चोखोने क्रिचेना जी का है. उनका पूरा परिवार परंपरागत खेती से जुड़ा रहा है. क्रिचेना ने इस पारंपरिक अनुभव को एक और विस्तार दिया. उन्होंने फूलों की खेती को अपना पैशन बनाया. आज वो इस काम से अलग-अलग मार्केट को जोड़ रही हैं और अपने इलाके की लोक कम्यूनिटीज को भी इंपॉवर कर रही हैं.
हैंडीक्राफ्ट के लिए मार्ग्रेट के काम को बड़े विजन वाला बताया
पीएम मोदी ने इसके अलावा मणिपुर के चुराचांदपुर में मार्ग्रेट रामथरसीम (Margaret Ramtharsiem) के प्रयासों की तारीफ की. उन्होंने मणिपुर के पारंपरिक उत्पादों को, वहां के handicraft को, बांस और लकड़ी से बनी चीजों को, एक बड़े vision के साथ देखा और इसी vision के कारण, वो एक handicraft artist से लोगों के जीवन को बदलने का माध्यम बन गईं.