India Russia Agriculture Trade: भारत और रूस के बीच कृषि व्यापार हाल ही में मुश्किलों में फंस गया है. दोनों देश कृषि क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन रूस की तरफ से ‘कीट-मुक्त क्षेत्र’ (Pest-free zone) की मांग ने व्यापार को रोक दिया है. भारत का कहना है कि इससे बेहतर है कि उत्पादों की जांच और टेस्टिंग के आधार पर ही व्यापार बढ़ाया जाए, हर क्षेत्र को कीट-मुक्त घोषित करने की जरूरत नहीं.
रूस की मांग और भारत का जवाब
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, रूस चाहता है कि केवल कीट-मुक्त क्षेत्रों से ही कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाए, ताकि निगरानी और नियंत्रण आसान रहे. भारत का तर्क है कि यह नियम व्यापार में बड़ी बाधा डाल रहे हैं. भारत चाहता है कि उत्पाद की गुणवत्ता और टेस्टिंग के आधार पर ही निर्यात बढ़ाया जाए.
किन उत्पादों में बढ़ सकता है व्यापार
भारत रूस से अब तक लगभग 45 मिलियन डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात करता है, जिनमें दालें, सूरजमुखी तेल, समुद्री उत्पाद, शराब और अनाज शामिल हैं. वहीं भारत ने 2024-25 में रूस को 856 मिलियन डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात किए. इनमें चाय, कॉफी, बासमती चावल, समुद्री उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं. आलू, अनार, मत्स्य और डेयरी उत्पादों में भी व्यापार बढ़ाने की भी संभावना है.
हाल की बैठक और समझौते
26 सितंबर को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में रूस के उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पत्रुशेव से मुलाकात की. इस बैठक में दोनों देशों ने कृषि व्यापार बढ़ाने, तकनीकी सहयोग मजबूत करने और शिक्षा में छात्रवृत्ति और आदान-प्रदान बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. इसके अलावा बीज ट्रैसेबिलिटी सिस्टम और कृषि नवाचार को भी आगे बढ़ाने पर दोनों देशों ने बातचीत की.
वहीं, पत्रुशेव ने भारत-रूस कृषि व्यापार को औपचारिक रूप देने के लिए MoU (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर करने में रुचि दिखाई. रूस के फेडरल सर्विस फॉर वेटरनरी एंड फाइटोसैनिटरी सर्विलांस के प्रमुख भी इस दौरान मौजूद थे, जो इस बात का संकेत है कि दोनों देश पौध संरक्षण के मसलों का समाधान खोजने में गंभीर हैं और साथ में काम करना चाहते हैं.
किसानों और निर्यातकों पर असर
भारत अमेरिका के कृषि बाजार पर पहले काफी निर्भर था. 2024-25 में अमेरिका को भारत का कृषि निर्यात 6.25 अरब डॉलर था, जबकि पिछले साल यह 5.52 अरब डॉलर था. अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी ड्यूटी लगा दी है, इसलिए भारत अब रूस जैसे अन्य बाजारों पर ध्यान दे रहा है, ताकि भारतीय कृषि के लिए दूसरे देशों के भी दरवाजें खुले रह सकें.