राजस्थान के फलोदी जिले के किसानों के चेहरे इस बार खिले हुए हैं. वजह है जीरे की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार. रबी सीजन में इस बार जिले में 25 हजार हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में जीरा बोया गया है. अच्छी पैदावार के साथ ही किसानों को अरब देशों में निर्यात से मोटी कमाई की भी उम्मीद है. हालांकि इस बीच वैश्विक परिस्थितियों के चलते भावों में थोड़ा दबाव भी दिख रहा है.
फलोदी में जीरे की बंपर फसल
इस बार फलोदी जिले में जीरे की खेती बड़े पैमाने पर हुई है. पिछले साल जहां 1.41 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था, वहीं इस साल यह आंकड़ा 1.66 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया. यानी करीब 25 हजार हेक्टेयर का इजाफा हुआ है. इस बार जिले के बड़े हिस्से में रबी सीजन की प्रमुख फसल के रूप में जीरा बोया गया है.
10 लाख क्विंटल के पार पहुंचा फलोदी का जीरा उत्पादन
समाचार एजेंसी प्रसार भारती के अनुसार, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जगदीश चंद्र मेघवंशी बताते हैं कि फलोदी की जलवायु और मिट्टी जीरे के लिए बहुत अनुकूल हैं. यहां की मिट्टी में जस्ता और गंधक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भरपूर मिलते हैं. इसी वजह से फलोदी के जीरे की क्वालिटी दूसरे जिलों के मुकाबले ज्यादा अच्छी मानी जाती है. वहीं, इस साल कुछ मौसमी असर जरूर दिखा, लेकिन कुल उत्पादन बढ़ा है. 2023-24 में 8.73 लाख क्विंटल उत्पादन हुआ था, जो इस साल बढ़कर 10.01 लाख क्विंटल तक पहुंचा है.
नई तकनीकों से बढ़ी उपज
किसान मोहम्मद रफीक बताते हैं कि इस बढ़ती पैदावार के पीछे आधुनिक तकनीक और उन्नत बीजों का बड़ा हाथ है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग, उद्यान विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से समय-समय पर नई किस्मों को अपनाया जा रहा है. इससे उत्पादन में करीब 32 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. यही नहीं, उनका कहना है कि किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का अच्छा फायदा मिल रहा है.
उत्पादन बढ़ा, लेकिन मंडी में जीरे के दाम गिरे
कृषि उपज मंडी सचिव जयकिशन बिश्नोई के अनुसार इस साल मंडी में अब तक 42 हजार क्विंटल जीरे की तुलाई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले 16 हजार क्विंटल ज्यादा है. हालांकि दामों में गिरावट आई है. इस समय मंडी में जीरे के भाव 17,400 से 18,500 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहे हैं. वहीं, पिछले साल ये भाव 50 से 55 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे थे. किसान अब अपनी जरूरत के अनुसार ही जीरा बेच रहे हैं.
निर्यात में कमी से घटे दाम
व्यापारी उमर भाई बताते हैं कि फलोदी का जीरा आमतौर पर गुजरात की उंझा मंडी के रास्ते अरब देशों में निर्यात होता है. लेकिन इस बार रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक मंदी के चलते निर्यात में गिरावट आई है. इसी कारण अन्तर्राष्ट्रीय मांग घटने से स्थानीय मंडी में भी दाम नीचे आ गए हैं. फिलहाल किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आने वाले दिनों में बाजार में सुधार होगा.