देश में मुर्गी पालन उद्योग ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि फ्रोजन चिकन पर 5 फीसदी जीएसटी को हटाया जाए और वैल्यू-एडेड चिकन उत्पादों पर लगने वाला कर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया जाए. उद्योग का कहना है कि ये उत्पाद किसी भी तरह की लग्जरी वस्तु नहीं हैं, बल्कि देशवासियों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करते हैं.
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव रिकी थापर ने कहा कि मरीनैटेड और वैल्यू-एडेड फ्रोजन चिकन जैसे प्रसंस्कृत उत्पाद लोगों की रोजमर्रा की पोषण जरूरतों को पूरा करते हैं. उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया कि फ्रोजन चिकन पर जीएसटी हटा दी जाए और वैल्यू-एडेड चिकन उत्पादों पर कर में कटौती की जाए.
थापर ने बताया, “GST में छूट और कर में कमी से आम जनता तक सुरक्षित चिकन उत्पाद आसानी से पहुंचेंगे. इससे न केवल पोल्ट्री किसानों का समर्थन होगा, बल्कि देश में चिकन उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी.”
क्षेत्रीय संगठन भी उठाएंगे मुद्दा
थापर ने कहा कि देश के सभी क्षेत्रीय पोल्ट्री संगठन भी जीएसटी में कमी के मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे. उन्होंने बताया कि भारतीय पोल्ट्री उद्योग पिछले दशक में 8 फीसदी की स्थिर वृद्धि दर के साथ बढ़ रहा है. यह उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को पोषणयुक्त और किफायती मूल्य में भोजन उपलब्ध कराता है.
पोल्ट्री उद्योग में मक्का और सोयाबीन का उपयोग चारा बनाने में होता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. देश में 92 फीसदी से अधिक पोल्ट्री मांस की बिक्री लाइव या वेट मार्केट्स के माध्यम से होती है, जबकि बाकी का मांस प्रसंस्कृत उत्पादों के रूप में बेचा जाता है.
उद्योग का महत्व
पोल्ट्री मांस उद्योग में प्रसंस्करण की प्रक्रिया लगातार बढ़ रही है. यह उद्योग लाखों छोटे और मध्यम किसानों को रोजगार देता है. थापर ने कहा कि सरकार को इस उद्योग की मांग पर ध्यान देना चाहिए ताकि आधुनिक और स्वच्छ खाद्य प्रथाओं को बढ़ावा मिले, असुरक्षित मांस हैंडलिंग पर निर्भरता कम हो और उपभोक्ताओं को सुरक्षित, तैयार पकाने योग्य प्रोटीन विकल्प मिल सकें.
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि कर में कमी से न सिर्फ उपभोक्ताओं को फायदा होगा, बल्कि देश में पोल्ट्री उत्पादों की पहुंच और उनकी गुणवत्ता में भी सुधार आएगा. इस कदम से किसानों को भी अच्छा लाभ मिलेगा और देश की पोषण सुरक्षा में योगदान बढ़ेगा.
कुल मिलाकर, पोल्ट्री उद्योग का यह कदम सरकार से समर्थन मांगने और देश के लाखों उपभोक्ताओं को सस्ती और सुरक्षित चिकन पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है.