रूस में आलू की कीमतें अचानक आसमान छूने लगी हैं. एक साल पहले तक जो आलू 30 रूबल प्रति किलो (करीब 38 रुपये) मिलता था, वही अब 85 रूबल (करीब 107 रुपये) से भी ऊपर बिक रहा है. कुछ इलाकों में तो इसकी कीमत 200 रूबल (253 रुपये) प्रति किलो तक पहुंच चुकी है. यानी, महज एक साल में 173 फीसदी की बढ़ोतरी. तो चलिए जानते हैं क्यों रूस में आलू सबसे महंगी और दुर्लभ चीज बन चुका है.
क्यों महंगा हो गया आलू?
2024 की खराब फसल: पिछले साल रूस में आलू की पैदावार करीब 12 फीसदी कम रही. इसका बड़ा कारण था खराब मौसम और बीज आलू की कमी.
किसानों का रुझान बदला: 2023 में आलू की कीमतें बहुत गिर गई थीं, जिससे इसकी खेती घाटे का सौदा बन गई. इसलिए किसानों ने 2024 में आलू छोड़कर दूसरे फायदेमंद फसलों (जैसे सूरजमुखी, गन्ना) की खेती शुरू कर दी.
महंगाई और लागत में इजाफा: उर्वरक, ईंधन और ढुलाई सब महंगे हो गए हैं. ऊपर से रूस का केंद्रीय बैंक 21 फीसदी ब्याज दर चला रहा है, जिससे किसानों को लोन मिलना भी मुश्किल हो गया.
बिगड़ती आलू की क्वालिटी: जो भी आलू उपजा, उसकी गुणवत्ता खराब थी. जल्दी सड़ने के कारण बाजार में अच्छा आलू कम है.
घटता ‘घर का बागवानी’ कल्चर: अब रूस में लोग घर पर खुद आलू उगाने की बजाय बाजार से खरीदने लगे हैं, जिससे मांग और भी बढ़ गई.
अब क्या कर रही है सरकार?
रूसी सरकार अब दूसरे देशों से बड़ी मात्रा में आलू आयात कर रही है. पहले चीन और बेलारूस से खरीदा, लेकिन अब मंगोलिया से भी हजारों टन आलू मंगवाया गया है. मजेदार बात ये है कि 20 साल पहले तक मंगोलिया रूस से आलू खरीदता था, और अब उल्टा हो रहा है.
इसी के साथ सरकार ने 150,000 टन आलू बिना टैक्स के मंगवाने की छूट दी है, और इस सीमा को 300,000 टन तक बढ़ाने की योजना है. इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें अपने-अपने इलाकों से बाहर आलू ले जाने पर प्रतिबंध भी लगा रही हैं.
क्या राहत मिलेगी?
रूस की कृषि मंत्री का कहना है कि जुलाई 2025 से नई फसल आने के बाद कीमतें कुछ कम हो सकती हैं. लेकिन यह पूरी तरह मौसम और फसल की स्थिति पर निर्भर करेगा. तब तक के लिए, वहां की जनता को सिर्फ छूट की दुकानों और ऑफर्स का सहारा है.