छोटे मछुआरों को मिलेगी मजबूती, UN और भारत मिलकर बनाएंगे खास एक्शन प्लान

इस योजना पर आगे बढ़ने के लिए 17 से 19 सितंबर तक चेन्नई में तीन दिन की खास बैठक होगी. इसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव के अधिकारी, वैज्ञानिक और नीति निर्माता हिस्सा लेंगे. यहां हर देश के लिए अलग-अलग रोडमैप बनाया जाएगा.

नई दिल्ली | Published: 16 Sep, 2025 | 03:51 PM

India Fisheries Action Plan: भारत और बंगाल की खाड़ी के किनारे रहने वाले लाखों छोटे मछुआरों के लिए खुशखबरी है. अब उनके जीवन को सुरक्षित करने और आय बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहल की जा रही है. संयुक्त राष्ट्र की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) और बे ऑफ बंगाल प्रोग्राम इंटर-गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन (BOBP-IGO) मिलकर एक राष्ट्रीय एक्शन प्लान तैयार कर रहे हैं. इसका मकसद है छोटे पैमाने की मछली पकड़ने की पारंपरिक पद्धतियों को मजबूत करना, समुद्र में काम करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और बदलते मौसम की चुनौतियों से निपटना.

चेन्नई में जुटेंगे चार देशों के विशेषज्ञ

इस योजना पर आगे बढ़ने के लिए 17 से 19 सितंबर तक चेन्नई में तीन दिन की खास बैठक होगी. इसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव के अधिकारी, वैज्ञानिक और नीति निर्माता हिस्सा लेंगे. यहां हर देश के लिए अलग-अलग रोडमैप बनाया जाएगा, ताकि उनकी जरूरतों के हिसाब से छोटे मछुआरों के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें.

भारत की तरफ से इस बैठक का उद्घाटन केंद्रीय मत्स्य सचिव अभिलक्ष लिक्‍ही करेंगे. साथ ही, देश के प्रमुख संस्थानों जैसे सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट और फिशरी सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक भी चर्चा में शामिल होंगे.

मछुआरों के हक और सुरक्षा पर रहेगा फोकस

इस नए एक्शन प्लान में छोटे मछुआरों की रोजी-रोटी, काम की परिस्थितियों और समुद्र में सुरक्षा को लेकर खास प्रावधान होंगे. महिलाओं को भी इस योजना में अहम भूमिका दी जाएगी, ताकि वे मछली पकड़ने और उससे जुड़ी गतिविधियों में बराबरी से भाग ले सकें.

BOBP-IGO के डायरेक्टर पी. कृष्णन का कहना है कि यह योजना सिर्फ मछुआरों के लिए राहत ही नहीं, बल्कि समुद्री संसाधनों की सुरक्षा और टिकाऊ मत्स्य पालन को भी बढ़ावा देगी.

बदलते मौसम और संसाधनों की कमी से राहत की उम्मीद

FAO की विशेषज्ञ लीना मारिया वेस्टलुंड ने कहा, “छोटे पैमाने की मत्स्य पालन तटीय इलाकों के लिए रीढ़ की हड्डी जैसी है. यह लाखों लोगों को खाना और रोजगार देती है. लेकिन जलवायु परिवर्तन, समुद्र के बढ़ते तापमान और संसाधनों की होड़ ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. यह योजना इन चुनौतियों का समाधान खोजने की दिशा में बड़ा कदम है.”

भारत के मछुआरों को सीधा फायदा

भारत दुनिया के सबसे बड़े मत्स्य पालन करने वाले देशों में से एक है, जहां करोड़ों लोग मछली पकड़ने और उससे जुड़े कामों से अपनी रोजी कमाते हैं. यह नई योजना उनके लिए जीवन बदलने वाली साबित हो सकती है. इससे न केवल उनकी आय बढ़ाने के रास्ते खुलेंगे, बल्कि समुद्र में काम करते समय उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.

सतत विकास की दिशा में कदम

यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG-14) से जुड़ी है, जिसका मकसद है समुद्र और उसके जीवों को बचाना. अगर यह योजना सफल होती है तो न सिर्फ भारत बल्कि बंगाल की खाड़ी से जुड़े सभी देशों के छोटे मछुआरों को स्थायी और सुरक्षित भविष्य मिलेगा.

क्यों खास है यह पहल

मछुआरों को कानूनी अधिकार और बेहतर सुरक्षा मिलेगी.

महिलाओं को बराबर अवसर और भागीदारी का मौका मिलेगा.

जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाले खतरों का हल ढूंढा जाएगा.

समुद्री संसाधनों का संतुलित और टिकाऊ इस्तेमाल बढ़ेगा.