Success Story : छत्तीसगढ़ में खेती की नई तकनीकें अपनाकर किसान अब रिकॉर्ड तोड़ पैदावार कर रहे हैं. कोरबा जिले के झगरहा गांव के 67 वर्षीय किसान रामरतन राम निकुंज ने सेवानिवृत्ति के बाद आधुनिक खेती अपनाकर यह साबित कर दिया कि उम्र सफलता में बाधा नहीं बन सकती. वर्मी ग्रिड मैथड अपनाकर उन्होंने हाईब्रिड धान में प्रति हेक्टेयर 106 क्विंटल की रिकॉर्ड पैदावार हासिल की. उनकी मेहनत और नवीन सोच ने न केवल उन्हें प्रदेश में प्रथम स्थान दिलाया, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एक मिसाल कायम की.
नौकरी के बाद शुरू हुई नई यात्रा
रामरतन निकुंज पहले दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड में फोरमेन इंचार्ज के पद पर कार्यरत थे. 2018 में सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपनी पांच एकड़ भूमि को आधुनिक खेती के लिए मॉडल फार्म बनाने का संकल्प लिया. शुरुआत में उन्होंने पारंपरिक कतार बोनी और श्री विधि से धान की खेती की, लेकिन वर्ष 2023 से उन्होंने वर्मी ग्रिड मैथड अपनाना शुरू किया. इस पद्धति में खेत को छोटे-छोटे ग्रिड में बांटा जाता है और हर खंड में वर्मी कम्पोस्ट (केचुआ खाद) डाली जाती है. इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पौधों को संतुलित पोषण मिलता है. साथ ही, खरपतवार नियंत्रण के लिए वीडर का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे रासायनिक दवाओं की जरूरत कम होती है.
रिकॉर्ड पैदावार से बनी मिसाल
वर्मी ग्रिड मैथड अपनाने के बाद रामरतन ने वर्ष 2024 में हाइब्रिड धान की खेती की. इस तकनीक के चलते उन्हें प्रति हेक्टेयर 106 क्विंटल की रिकॉर्ड पैदावार मिली. उन्होंने इस साल सुगंधित देवमोगरा किस्म पर भी सफल प्रयोग किया. निकुंज का कहना है कि यह उपलब्धि केवल मेहनत से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नई तकनीक अपनाने से संभव हुई. उनका अनुभव यह साबित करता है कि यदि किसान योजनाबद्ध तरीके से खेती करें और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें, तो खेती भी लाभकारी व्यवसाय बन सकती है.
प्रशासन और कृषि विभाग का अहम योगदान
रामरतन की सफलता में जिला प्रशासन और कृषि विभाग का मार्गदर्शन भी अहम रहा. कृषि अधिकारी कंवर और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संजय पटेल ने उन्हें वर्मी ग्रिड मैथड और वैज्ञानिक खेती के सही तरीके समझाए. राज्य सरकार की योजनाओं से उन्हें वर्मी कम्पोस्ट संयंत्र, उन्नत बीज और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं मिलीं. इन सुविधाओं ने उन्हें नई तकनीक अपनाने में मदद की और उनकी पैदावार बढ़ाने में योगदान दिया.
दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे रामरतन
निकुंज केवल अपनी आमदनी बढ़ाने में ही सफल नहीं हुए, बल्कि उन्होंने आसपास के किसानों को भी इस पद्धति से खेती करने के लिए प्रेरित किया. वे किसानों को जैविक खेती और पर्यावरण अनुकूल तकनीकों के महत्व को समझाते हैं. वे युवाओं को खेती को स्टार्टअप मॉडल के रूप में अपनाने की सलाह देते हैं. उनका मानना है कि अब खेती केवल पारंपरिक काम नहीं रह गई है, बल्कि इसे एक व्यवसायिक और लाभकारी क्षेत्र बनाया जा सकता है.
मेहनत, विज्ञान और योजनाओं का सही मेल
रामरतन निकुंज की सफलता यह दिखाती है कि कठोर परिश्रम, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करके खेती को लाभकारी बनाया जा सकता है. उनकी उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत प्रयासों का नतीजा है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन गई है. आज रामरतन की कहानी यह संदेश देती है कि खेती में नवीन तकनीक अपनाने से न केवल पैदावार बढ़ती है, बल्कि किसान आत्मनिर्भर भी बनते हैं. वे साबित कर चुके हैं कि उम्र या परंपरा सफलता में बाधा नहीं बन सकती, बस सही दिशा और मेहनत जरूरी है.