सिंचाई की दिक्कतों के चलते कपास की बुवाई और ग्वार की खेती का रकबा घट गया है. हरियाणा में करीब आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में कपास और ग्वार की बंपर खेती की जाती है. लेकिन, इस बार घग्घर नहर से पानी नहीं मिल पाने से फतेहाबाद, सिरसा समेत कई जिलों में कपास की बुवाई नहीं हो सकी है. यही हाल ग्वार की खेती करने वाले किसानों का भी है. ऐसे में चिंता जताई जा रही है कि इस बार राज्य में कपास और ग्वार का उत्पादन घट सकता है. जो राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन आंकड़े को प्रभावित कर सकता है. वहीं, अब धान की बुवाई को लेकर भी किसानों की चिंता बढ़ गई है.
हरियाणा में फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, झज्जर समेत करीब दर्जनभर जिलों में कपास की बंपर खेती की जाती है. लेकिन, बीते कुछ वर्षों से सिंचाई दिक्कतों और सुंडी कीट के हमले से कपास किसानों को भारी नुकसान हुआ है. इसके चलते बड़े पैमाने पर किसान पहले ही कपास की खेती से मुंह मोड़ चुके हैं. इस वर्ष किसानों ने कपास और ग्वार की खेती करने का मन बनाया था, लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाने की वजह से कई किसानों की फसल खेत में सूख गई. जबकि, बाकी किसान बुवाई ही नहीं कर सके.
औलख ने आंदोलन की चेतावनी दी
भारतीय किसान एकता बीकेई के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि सिंचाई के लिए पानी सुविधा नहीं होने के चलते अकेले सिरसा जिले के 50 से ज्यादा गावों के किसानों की ग्वार और नरमा यानी कपास की खेती चौपट हो गई है. उन्होंने कहा कि किसानों के कई सालों के संघर्ष के बाद पिछले साल हिसार घग्गर ड्रेन के फ्लडी पानी की निकासी के लिए साईफन का निर्माण किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि रिश्वतखोर, कमीशनखोर व भ्रष्ट नहरी विभाग के अधिकारियों की वजह से कुछ ही दिनों में साइफन की पाइप टूट गई थी, जिसकी आज तक भी मरम्मत नहीं की गई है. उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है.
तीन नहरों में पानी की सप्लाई बाधित
किसान नेता औलख ने कहा कि साइफन की पाइप टूटने से शेरांवाली पैरेलल (फ्लडी कैनाल), एसजीसी व कुत्ताबढ़ तीन नहरों में पानी की सप्लाई बाधित हो रही है. औलख ने कहा कि आज इस मुद्दे पर नहरी विभाग के अधिकारियों व ठेकेदार से बातचीत हुई तो इस पर ठेकेदार ने कहा कि एक सप्ताह में काम पूरा हो जाएगा. सिंचाई विभाग के एक्सईएन से बात हुई तो उसने भी एक सप्ताह में काम पूरा हो जाने की बात कही, लेकिन पिछले कई महीनों से बार-बार समय मांग रहे हैं. काम पूरा नहीं कर रहे हैं.
धान भी नहीं लगा पाएंगे किसान
लखविंदर औलख ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री का दौरा हो तो संबंधित विभाग वाले दिन रात एक करके काम पूरा करते हैं, लेकिन पिछले 6 महीनों से इन नहरों पर लगभग 50 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. इसकी वजह से से ग्वार व नरमे की बुवाई नहीं हो पाई है. अगर ऐसे ही हालात रहे तो खरीफ सीजन की तीसरी मुख्य फसल धान भी नहीं लगा पाएंगे.
ओटू हेड के गेट मरम्मत के नाम पर करोड़ों का घोटाला
औलख ने कहा कि विभाग द्वारा जानबूझकर काम में देरी की जाती है, क्योंकि उस समय घग्गर में बरसाती पानी आ जाता है. इससे विभागीय अधिकारी अपनी नाकामी व भ्रष्टाचार छुपा लेते हैं. ओटू हैड के गेट ठीक करवाने के नाम पर हर साल बिल बनाए जाते हैं, लेकिन गेटों के हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं. इस बार भी समय रहते गेटों की मरम्मत नहीं की गई है. औलख ने कहा कि ओटू हैड के गेटों से घग्गर नदी के पानी के बहाव से कटाई को रोकने के लिए पुल के आगे सीमेंट की बुर्जियां बनी हुई थीं, जिन्हें उखाड़ कर दोबारा लगाने के नाम पर करोड़ों रुपए का टेंडर हुआ है. इस टेंडर में हुए भ्रष्टाचार में एसई, एक्सईएन, एसडीओ, ठेकेदार व कुछ चंडीगढ़ के अधिकारी भी शामिल हैं.
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