पहाड़ों का रत्न कहलाता है ये फल.. देवताओं का भी पसंदीदा, अब पर्यटकों के लिए बना आकर्षण

काफल फल को पहाड़ी संस्कृति और अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है इसलिए इसे पहाड़ों का रत्न कहा जाता है. उत्तराखंड के लोकगीतों और लोककथाओं के अनुसार काफल को देवताओं का पसंदीदा फल कहा जाता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 12 Jun, 2025 | 05:23 PM

उत्तराखंड की हसीन वादियां और ठंड तो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती ही हैं लेकिन इसके अलावा उत्तराखंड का एक ऐसा फल है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस फल को पहाड़ों का रत्न भी कहा जाता है. ये फल उत्तराखंड के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि यह बेहद ही स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर भी होता है. इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में होती है. हम बात कर रहे हैं पहाड़ी फल काफल की. खबर में जानेंगे क्यों कहते हैं काफल को पहाड़ों का रत्न.

उत्तराखंड में मिला है ‘राजकीय फल’ का दर्जा

उत्तराखंड के लोकगीतों और लोककथाओं केअनुसार काफल को देवताओं का पसंदीदा फल कहा जाता है. उत्तराखंड में काफल को ‘राजकीय फल’ का दर्जा मिला हुआ है. बता दें कि काफल एक जंगली पेड़ है जो 4 हजार से 6 हजार फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में उगता है. इसके साथ ही काफल की स्वाद और इसकी प्राकृतिक सुंदरता इसे पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनाती है. नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेती जैसे पहाड़ी इलाकों में पर्यटक काफल के स्वाद का आनंद लेने आते हैं.

औषधीय गुणों से है भरपूर

काफल के फल, छाल और बीज का इस्तेमाल आयुर्वेद में अलग-अलग रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. काफल अस्थमा, डायबिटीज, पाइल्स, मोटापा, सूजन, जलन, मुंह में छाले, बुखार, अपच, और दर्द जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं. स्वाद में काफल खट्टा-मीठा होता है , साथ ही ये विटामिन C, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-हेल्मिन्थिक गुणों से भरपूर होता है, जो कि इसे सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद बनाते हैं.

क्यों कहते हैं ‘पहाड़ों का रत्न’

काफल पहाड़ी संस्कृति और अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है इसलिए इसे पहाड़ों का रत्न कहा जाता है. दरअसल, काफल गर्मियों के मौसम में पहाड़ी इलाकों में उगता है. पहाड़ों पर घूमने आए पर्यटकों के बीच इसकी मांग बहुत ज्यादा रहती है, जिसके कारण इसकी बिक्री से स्थानीय लोगों को काफ फायदा होता है. बता दें कि बाजार में काफल की कीमत लगभग 300 रुपये से 500 रुपये प्रति किलो होती है. इस तरह से काफल उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी बनाने में एक अहम भूमिका निभाता है.

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Published: 12 Jun, 2025 | 05:22 PM

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