अमृत सरोवर योजना ने बदली महिलाओं की किस्मत, मछली बेचकर कमा रहीं हजारों रुपये

महिलाओं ने अमृत सरोवर में मछली पालन कर 1.3 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. सरकार की मदद से शुरू किए गए इस कार्य ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया और रोजगार का नया जरिया दिया. यह मॉडल ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन रहा है.

नोएडा | Published: 15 Sep, 2025 | 06:00 AM

Chhattisgarh News: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार और पंचायतों की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं. इन्हीं प्रयासों का असर अब जमीन पर दिखने भी लगा है. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में महिलाओं ने मछली पालन कर न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमाया, बल्कि बाकी महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन गई हैं. मनरेगा योजना के तहत बने अमृत सरोवर में मछली पालन कर महिलाओं के एक स्व-सहायता समूह ने कुछ ही महीनों में करीब 1.30 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है.

मनरेगा से बना तालाब, महिलाओं को मिला काम

रायगढ़ के कोड़ासिया गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत एक अमृत सरोवर (तालाब) का निर्माण किया गया था. सरकार की मंशा थी कि इससे गांव में पानी का संरक्षण हो, सिंचाई में मदद मिले और साथ ही इससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिले. इस तालाब को इस्तेमाल में लाने के लिए इसे मछली पालन के लिए एक महिला स्व-सहायता समूह को सौंपा गया. यह पहल जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत की ओर से की गई, ताकि गांव की महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें.

सिर्फ 20 हजार रुपये में शुरू किया मछली पालन

समूह की महिलाओं ने मछली पालन शुरू करने के लिए कुल 20 हजार रुपये का निवेश किया. इस पैसे का उपयोग इस तरह से किया गया- 6,000 रुपये में मछली के बीज खरीदे गए, 10,000 रुपये मछलियों के दाने (खाद्य सामग्री) पर खर्च हुए और बाकी 4,000 रुपये जाल और मजदूरी में लगे. महिलाओं ने यह सारा काम आपसी सहयोग और मेहनत से खुद ही किया, जिससे उन्हें बाहरी लोगों पर निर्भर नहीं होना पड़ा और लागत भी कम रही.

पहली ही सीजन में हुआ डेढ़ लाख का कारोबार

इस मेहनत का फल भी अच्छा मिला. एक ही सीजन में महिलाओं ने मछली पालन से करीब 1.5 लाख रुपये की बिक्री की. यानी तालाब से निकली मछलियों को बेचकर उन्होंने अच्छा व्यापार कर लिया. जब सभी खर्चों को निकाल दिया गया, तो समूह को कुल 1.30 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ. इस मुनाफे को समूह की सभी महिलाओं के बीच बराबर-बराबर बांट दिया गया, जिससे हर महिला को करीब 13,000 रुपये की आमदनी हुई. यह रकम उन महिलाओं के लिए बहुत मायने रखती है, जो पहले सिर्फ घर तक सीमित थीं.

मछली पालन से रोजगार के नए रास्ते खुले

इस पहल से न केवल महिलाओं की आमदनी बढ़ी है, बल्कि स्थायी रोजगार का एक नया रास्ता भी खुला है. अब यह समूह अगली बार और ज्यादा मात्रा में मछली पालन करने की योजना बना रहा है. कुछ महिलाएं मछलियों की पैकिंग और मार्केटिंग में भी रुचि दिखा रही हैं. साथ ही, यह मॉडल आसपास के गांवों के लिए भी उदाहरण बन रहा है. अब दूसरे गांवों की पंचायतें भी महिलाओं के समूहों को इसी तरह के काम देने पर विचार कर रही हैं.

110 अमृत सरोवरों से ग्रामीणों को होगा फायदा

जिले में अब तक 110 अमृत सरोवर बन चुके हैं. इनका मकसद सिर्फ बारिश का पानी  जमा करना नहीं है, बल्कि इन्हें बहुउद्देश्यीय रूप से इस्तेमाल में लाया जा रहा है- जैसे मछली पालन, सिंचाई और स्थानीय लोगों को रोजगार देना. इन तालाबों का सही इस्तेमाल करके गांव की महिलाएं और किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं. अगर हर तालाब से इसी तरह की योजनाएं चलाई जाएं, तो इससे न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा बल्कि महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का एक मजबूत जरिया मिलेगा.

Published: 15 Sep, 2025 | 06:00 AM