पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही रहती है कि उनके दुधारू पशु ज्यादा से ज्यादा दूध दें. इसके लिए वे तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं. दवा से लेकर खास तरह का चारा तक उपलब्ध कराते हैं. लेकिन असली फर्क सही और पौष्टिक घास खिलाने से ही आता है. बरसीम, जिरका और नेपियर जैसी खास घास दुधारू पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती हैं. इन घासों से पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, उनकी पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और सबसे बड़ी बात– दूध उत्पादन बढ़ जाता है.
बरसीम घास से बढ़ेगा दूध उत्पादन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसान सबसे ज्यादा बरसीम घास अपने गाय-भैंसों को खिलाते हैं. इस घास में कैल्शियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में होता है. ये दोनों तत्व पशुओं की हड्डियों और शरीर के लिए जरूरी हैं. बरसीम का सेवन करने से पशुओं की पाचन शक्ति मजबूत रहती है. इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. यही वजह है कि सर्दियों के मौसम में किसान अपने पशुओं को खासतौर पर बरसीम ही खिलाते हैं. इसकी खेती भी आसान है और चारे के रूप में यह दूध उत्पादन बढ़ाने में कारगर साबित होती है.
जिरका घास भी है फायदेमंद
बरसीम के अलावा जिरका घास भी दूध बढ़ाने के लिए अच्छी मानी जाती है. इसकी बुवाई आसान है और यह जल्दी तैयार हो जाती है. इसमें भी कैल्शियम और फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जिरका खाने वाले पशुओं में दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है. यही कारण है कि कई पशुपालक बरसीम के साथ-साथ जिरका घास की खेती भी करते हैं. यह खासतौर पर गाय और भैंसों को संतुलित पोषण देती है.
नेपियर घास- दुधारू पशुओं का उत्तम आहार
नेपियर घास को दुधारू पशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार माना जाता है. इसके चारे में प्रोटीन और विटामिन भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. इसे खाने से पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. नेपियर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बुवाई के सिर्फ दो महीने बाद ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है. किसान इसे आसानी से अपने खेतों या खेत की मेड़ों पर उगा सकते हैं. इसका फायदा यह होता है कि पशु लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं और ज्यादा दूध देते हैं.
सालभर हरा चारा देता है नेपियर
नेपियर घास को बहुवर्षीय हरा चारा फसल कहा जाता है. एक बार बोने के बाद यह लगातार 4 से 5 साल तक चारा देती रहती है. इस घास से सालभर पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो जाता है. सूखे और बंजर इलाकों में भी इसकी खेती संभव है. यह उन किसानों के लिए बेहतर विकल्प है जिनके पास सीमित जमीन है. लगातार हरा और पौष्टिक चारा मिलने से गाय और भैंसों में दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ती हैं.
किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा
बरसीम, जिरका और नेपियर जैसी घासों का सेवन दुधारू पशुओं के लिए किसी टॉनिक से कम नहीं है. इन घासों से दूध उत्पादन बढ़ने पर सीधा फायदा किसानों को मिलता है. दूध की बिक्री से उनकी आय बढ़ती है और पशुपालन ज्यादा लाभकारी बन जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान सही तरीके से इन घासों की खेती करें और नियमित रूप से अपने पशुओं को खिलाएं तो उनकी आय दोगुनी तक हो सकती है. दूध की ज्यादा मांग और सही कीमत मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है.