गाय-भैंस में बांझपन की बढ़ती समस्या, सरकार ने बताए पहचान और बचाव के आसान तरीके

बिहार सरकार ने दूधारू पशुओं में बढ़ती बांझपन समस्या पर जागरूकता अभियान शुरू किया है. पशुपालकों को पहचान, कारण और बचाव के सरल उपाय बताए जा रहे हैं, ताकि पशुओं की उत्पादकता बढ़े और किसानों की आमदनी में सुधार हो.

नोएडा | Published: 10 Sep, 2025 | 06:00 AM

पशुपालन किसानों की आमदनी का अहम साधन है, लेकिन दूध देने वाले पशुओं में बांझपन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस वजह से न सिर्फ पशुओं की उत्पादकता घट रही है, बल्कि किसानों की मेहनत और आय पर भी असर पड़ रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय ने एक खास पहल शुरू की है. इसके तहत पशुपालकों को सरल भाषा में बांझपन के प्रकार, कारण और बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं. आइए जानते हैं विस्तार से

क्यों चिंता का विषय है दूधारू पशुओं में बांझपन

बांझपन यानी इनफर्टिलिटी केवल एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई कारणों से होने वाली जटिल स्थिति है. जब गाय-भैंस जैसे दूधारू पशु गर्भधारण नहीं कर पाते, तो उनकी दूध उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता है. इससे सीधा नुकसान किसानों और पशुपालकों को होता है. सरकार का मानना है कि यदि समय रहते समस्या की पहचान कर ली जाए, तो इसका समाधान भी संभव है.

बांझपन के तीन प्रकारजानें सरल भाषा में

पशुपालन निदेशालय ने बांझपन को तीन अलग-अलग प्रकारों में बांटा है, ताकि पशुपालक आसानी से इसे समझ सकें.

  • प्राइमरी इनफर्टिलिटी (प्राथमिक बांझपन): जब मादा पशु यौन परिपक्व हो जाती है, लेकिन कभी भी गर्भधारण नहीं कर पाती.
  • सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (गौण बांझपन): इस स्थिति में पशु पहले गर्भधारण कर चुका होता है, लेकिन बाद में फिर से गर्भधारण करने में असफल हो जाता है.
  • फंक्शनल इनफर्टिलिटी (कार्यात्मक बांझपन): यह हार्मोन असंतुलन से जुड़ा होता है. जैसे कि “साइलेंट हीट” की समस्या, जिसमें पशु हीट में होता है लेकिन बाहर से उसके लक्षण नजर नहीं आते.

इन तीनों स्थितियों की पहचान समय पर हो जाए, तो इलाज और सुधार आसान हो जाता है.

पोषण की कमी- बांझपन का सबसे बड़ा कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि पशुओं में बांझपन का सबसे बड़ा कारण पोषण की कमी है. जब गाय-भैंस को संतुलित आहार नहीं मिलता, तो उनके शरीर में प्रोटीन और जरूरी खनिजों (मिनरल्स) की कमी हो जाती है. खासकर फॉस्फोरस, आयोडीन, कैल्शियम और जिंक की कमी गर्भधारण की क्षमता पर सीधा असर डालती है.

इसके अलावा, यदि पशु को ऊर्जा देने वाला चारा पर्याप्त मात्रा में न मिले, तो भी उसका प्रजनन चक्र प्रभावित होता है. यही वजह है कि पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे संतुलित आहार, हरा चारा और मिनरल मिक्सचर का उपयोग जरूर करें.

पशुपालकों के लिए सरकार की पहल

बिहार सरकार का उद्देश्य है कि किसानों और पशुपालकों को इस गंभीर समस्या के बारे में जागरूक किया जाए. निदेशालय की ओर से ग्रामीण स्तर पर ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इन कार्यक्रमों में पशुपालकों को बताया जा रहा है कि किस तरह से पशु की सेहत पर ध्यान देकर और सही समय पर इलाज कराकर बांझपन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. सरकार चाहती है कि पशुपालन न सिर्फ किसानों की जरूरत पूरी करे बल्कि उनकी आमदनी बढ़ाने का भी मजबूत जरिया बने.

बांझपन से बचाव के उपाय

पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को कुछ खास सुझाव दिए हैं, जिन पर अमल करके वे अपने पशुओं की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं.

  • पशु को समय पर और संतुलित आहार दें.
  • हरे चारे और मिनरल मिक्सचर को आहार में शामिल करें.
  • पशु को स्वच्छ पानी और साफ वातावरण दें.
  • गर्भधारण में समस्या दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
  • हीट का सही समय पहचानें और समय पर कृत्रिम गर्भाधान करवाएं.

इन साधारण उपायों को अपनाकर पशुपालक अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं और दूध उत्पादन भी बढ़ा सकते हैं.

Published: 10 Sep, 2025 | 06:00 AM