Dairy Development : मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए एक खास पहल की है-दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह अभियान 2 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक चलाया जा रहा है, जिसमें पशु चिकित्सकों की टीम गांव-गांव जाकर पशुपालकों से सीधे संवाद कर रही है. इस अभियान का मकसद है-दूध उत्पादन बढ़ाना, पशुओं की नस्ल सुधारना और पशुपालकों को सरकारी योजनाओं से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाना. अब जानते हैं कि पशुपालकों को इस अभियान से क्या-क्या लाभ मिलने वाले हैं.
नस्ल सुधार से बढ़ेगा दूध उत्पादन
अभियान के दौरान पशु चिकित्सक और अधिकारी किसानों को यह समझा रहे हैं कि अगर वे नस्ल सुधार की तकनीकें अपनाएं, जैसे कि कृत्रिम गर्भाधान (AI), सेक्स सॉर्टेड सीमेन और एंब्रियो ट्रांसफर तकनीक, तो उनकी गाय-भैंसें ज्यादा दूध देने लगेंगी. इससे न सिर्फ दूध की मात्रा बढ़ेगी, बल्कि गुणवत्ता भी बेहतर होगी. जिनके पास 10 या उससे ज्यादा गोवंश हैं, उन्हें प्राथमिकता के साथ इन तकनीकों का लाभ दिया जा रहा है.
पशु पोषण की पूरी जानकारी मुफ्त में
अक्सर किसानों को ये पता नहीं होता कि कब, क्या और कितना चारा देना है. इसी कमी को दूर करने के लिए अभियान में पोषण पर खास फोकस किया गया है. पशुपालकों को सिखाया जा रहा है कि किस मौसम में किस तरह का चारा देना चाहिए, कौन से खनिज और विटामिन जरूरी हैं और कम खर्च में पौष्टिक आहार कैसे तैयार किया जाए. इससे पशु मजबूत बनते हैं और बीमार भी कम पड़ते हैं.
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बीमारियों से बचाव और मुफ्त टीकाकरण सुविधा
पशुपालकों को अब बीमारी का डर नहीं सताएगा. अभियान में पशुओं के लिए मुफ्त टीकाकरण और इलाज की सुविधा दी जा रही है. पशु चिकित्सक घर-घर जाकर गाय-भैंसों की जांच कर रहे हैं और जरूरत के अनुसार दवा या टीका दे रहे हैं. साथ ही बताया जा रहा है कि किस बीमारी के क्या लक्षण होते हैं और जल्दी इलाज क्यों जरूरी है.
सीधा संवाद, सीधा समाधान
अभियान की सबसे अच्छी बात है कि अधिकारी और चिकित्सक घर जाकर पशुपालकों से बात कर रहे हैं. ये सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि सीधी बातचीत और समाधान का जरिया बन गया है. पशुपालकों को अब खुद ही अपने सवाल पूछने और समाधान पाने का मौका मिल रहा है. चाहे वो नस्ल सुधार से जुड़ा हो, पोषण से या किसी सरकारी योजना से-सभी सवालों के जवाब मिल रहे हैं.
निराश्रित गोवंश की समस्या का हल
अक्सर गांवों और सड़कों पर छूटे हुए या निराश्रित गोवंश घूमते रहते हैं, जिससे हादसे भी होते हैं. सरकार ने इस समस्या को भी गंभीरता से लिया है. अब कृत्रिम गर्भाधान और नस्ल नियंत्रण की तकनीक से अनियोजित बछड़े-बछियों का जन्म कम होगा. इससे सड़कों पर घूमते गोवंश की संख्या घटेगी और समाज में व्यवस्था बेहतर होगी.
पशुपालकों के लिए सरकारी योजनाएं और फायदे
अभियान के माध्यम से पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा, पशु बीमा योजना, चारा बीज वितरण और सरकारी अनुदान की पूरी जानकारी दी जा रही है. अब पशुपालकों को ये जानने की जरूरत नहीं कि आवेदन कहां करें या योजना कैसे मिलेगी-अधिकारी खुद आकर सारी जानकारी और मदद दे रहे हैं.
हर गांव में पहुंचेगी टीम, हर पशुपालक को मिलेगा लाभ
इस अभियान को तीन चरणों में चलाया जा रहा है. पहले चरण में उन पशुपालकों से संपर्क किया जा रहा है जिनके पास 10 या उससे ज्यादा गोवंश हैं. आने वाले चरणों में सभी पशुपालकों को जोड़ने का लक्ष्य है. भारत पशुधन ऐप की मदद से पहले ही यह पता लगाया जा रहा है कि किस गांव में कौन-कौन पशुपालक हैं और कब उनके घर टीम पहुंचनी है. इससे व्यवस्था भी बनी रहती है और सबको फायदा भी मिलता है.