गाय का पालन भारत में न सिर्फ परंपरा है बल्कि एक मजबूत व्यवसाय भी है. सही नस्ल चुन ली जाए, तो कम खर्च में अच्छी कमाई संभव है. ऐसी ही एक खास नस्ल है लद्दाखी गाय, जो अब देशभर में पशुपालकों के लिए आमदनी का नया जरिया बनती जा रही है. यह गाय ऊंचाई वाले ठंडे इलाकों में भी आसानी से रह सकती है और अच्छी क्वालिटी का दूध देती है. आइए जानते हैं इसकी खासियत, पहचान, दूध की गुणवत्ता और इससे मिलने वाले फायदे.
कहां पाई जाती है लद्दाखी गाय
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लद्दाखी गाय का मूल स्थान जम्मू-कश्मीर का लेह-लद्दाख क्षेत्र है. यह इलाका ठंडा, सूखा और ऊंचाई पर स्थित है, जहां सामान्य पशु टिक नहीं पाते, लेकिन लद्दाखी गाय वहां भी स्वस्थ रहती है. यह नस्ल ऐसी जलवायु में खुद को आसानी से ढाल लेती है और कई सालों तक बीमारियों से दूर रहती है. इसका शरीर छोटा लेकिन मजबूत होता है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी मानी जाती है. यही कारण है कि यह गाय ज्यादा देखभाल की मांग नहीं करती और कठिन परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है.
दूध की गुणवत्ता और कमाई का मौका
लद्दाखी गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है. यह A2 प्रकार का दूध देती है, जो आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. इस दूध में वसा की मात्रा करीब 5.24 फीसदी या उससे अधिक होती है, जिससे यह मक्खन, घी और खासतौर पर चुरपी (एक सख्त प्रकार का चीज़) बनाने में उपयोगी होता है. एक लद्दाखी गाय रोज़ाना लगभग 2 से 5 लीटर दूध देती है. अगर इस दूध को सीधे या प्रसंस्करित उत्पादों के रूप में बेचा जाए, तो पशुपालक रोजाना 200 रुपये से 500 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. इसका मतलब है कि एक महीने में हजारों रुपये कमाए जा सकते हैं.
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लद्दाखी गाय की पहचान कैसे करें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लद्दाखी गाय देखने में बाकी गायों से अलग होती है. इसका आकार छोटा होता है और शरीर कसा हुआ दिखाई देता है. अधिकतर यह काले रंग की होती है, लेकिन कुछ में भूरे धब्बे भी दिख सकते हैं. इसके सींग ऊपर और आगे की ओर मुड़े हुए होते हैं. गाय का माथा छोटा और सीधा होता है और सिर पर थोड़े बाल भी होते हैं. इसके थन छोटे और कटोरी जैसे आकार के होते हैं, जिससे दूध दुहने में आसानी होती है. ये सब गुण इस गाय को पहचानने में मदद करते हैं और यही वजह है कि यह नस्ल अलग से पहचानी जाती है.
किन बीमारियों से होती है ग्रसित
वैसे तो लद्दाखी गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, लेकिन फिर भी कुछ आम और गंभीर बीमारियां इसमें देखी जा सकती हैं. आम बीमारियों में सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, कब्ज, अफारा, खूनी दस्त और पीलिया शामिल हैं. वहीं गंभीर बीमारियों में तिल्ली रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाजमोसिस, अनीमिया, मुंह-खुर रोग, ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, थनैला रोग, पैरों का गलना और रिंडरपैस्ट (शीतला माता) जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इनसे बचाव के लिए जरूरी है कि समय-समय पर टीकाकरण, स्वच्छता और पशु चिकित्सक की सलाह ली जाए.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
लद्दाखी गाय का पालन करना काफी किफायती होता है. इसे कम चारे में पाला जा सकता है और यह कठोर वातावरण में भी आसानी से रह लेती है. इसके दूध से होने वाली कमाई तो है ही, साथ में गोबर और पेशाब का इस्तेमाल खाद और बायोगैस बनाने में भी किया जा सकता है. अगर आप सरकार की पशुपालन योजनाओं का सही उपयोग करें तो लागत और भी कम हो जाती है. छोटे किसान या पशुपालक कम संसाधनों में इस गाय से एक स्थायी आय का स्रोत बना सकते हैं.