मध्यप्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार नई योजनाएं चला रही है. खासकर पशुपालन और दुग्ध उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ कहा है कि 2028 तक प्रदेश को देश की मिल्क कैपिटल बनाया जाएगा. इसके लिए गो- संरक्षण, डेयरी विकास और आधुनिक प्रसंस्करण अवसंरचना पर तेजी से काम हो रहा है.
किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस
पशुपालन से किसानों की आय को नई दिशा देने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मानना है कि यदि दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और गांव आत्मनिर्भर बनेंगे. इसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रदेश में हर घर गोकुल अभियान शुरू किया गया है. इसके तहत अब तक 946 नई दुग्ध सहकारी समितियों का गठन हो चुका है.
गोवंश की देखभाल और बेहतर प्रबंधन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग का नाम बदलकर गो-पालन विभाग कर दिया है. प्रदेश में पहले जहां गोवंश के आहार के लिए 20 रुपये प्रति माह दिए जाते थे, अब यह राशि बढ़ाकर 40 रुपये कर दी गई है. साथ ही मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना के तहत हर जिले में एक ऐसा गांव विकसित किया जाएगा, जो दुग्ध उत्पादन और ग्रामीण आजीविका के मामले में आत्मनिर्भर होगा.
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड से करार
मध्यप्रदेश सरकार ने दुग्ध उत्पादन और ब्रांडिंग को बढ़ावा देने के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के साथ करार किया है. इस करार के तहत सांची ब्रांड को और लोकप्रिय बनाया जाएगा. साथ ही, डेयरी नेटवर्क का विस्तार 26 हजार गांवों तक करने की योजना है. अनुमान है कि 2030 तक प्रदेश में 52 लाख किलोग्राम दूध का प्रतिदिन संकलन होगा. इस दूध को आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयों के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन ब्रांडिंग के साथ बाजार में उतारा जाएगा.
नई योजनाओं से पशुपालकों को राहत
पशुपालकों को सहयोग देने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की गई है. इसमें किसानों को 25 दुधारू पशुओं की इकाई दी जाएगी, जिसकी लागत 36 से 42 लाख रुपये तक होगी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 33 फीसदी और अन्य वर्गों के लिए 25 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा सरकार ने अब भैंस के साथ-साथ गाय का दूध भी खरीदने का फैसला किया है और उसकी कीमत बढ़ाई जाएगी.
गो-शालाओं से होगा संरक्षण
प्रदेश में स्वावलंबी गो-शालाओं की स्थापना नीति 2025 लागू की गई है. इसके अंतर्गत बड़े शहरों जैसे ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, उज्जैन और जबलपुर में 5 हजार से ज्यादा गोवंश क्षमता वाली बड़ी गो-शालाएं बनाई जा रही हैं. इन गो-शालाओं के जरिए गोवंश का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बने और दुग्ध उत्पादन में बड़ा योगदान दे.