अब मुर्गी नहीं, चूजे बेचकर होगी कमाई, 50 फीसदी सब्सिडी से किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा

सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन का नया तरीका लेकर आई है. इस योजना में किसान मुर्गी नहीं, बल्कि चूजे बेचकर कमाई कर सकते हैं. देसी नस्लों को बढ़ावा देने वाली इस स्कीम में 50 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है, जिससे कम लागत में अच्छा मुनाफा संभव है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 28 Dec, 2025 | 06:20 PM
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Poultry Farming Scheme : सिर्फ मुर्गा-मुर्गी बेचकर ही कमाई नहीं होती, अब चूजों का कारोबार भी किसानों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन रहा है. बदलते वक्त के साथ सरकार भी खेती और पशुपालन के ऐसे मॉडल ला रही है, जिनमें कम जोखिम और ज्यादा मुनाफा है. यूपी में नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत शुरू किया गया यह नया मुर्गी पालन मॉडल भी कुछ ऐसा ही है, जहां किसान मुर्गी नहीं बल्कि उनसे तैयार चूजे बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि इस योजना में सरकार 50 फीसदी तक सब्सिडी भी दे रही है, जिससे लागत का बोझ काफी कम हो जाता है.

मुर्गी नहीं, चूजे बेचने का नया फार्मूला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना का मकसद देसी नस्ल की मुर्गियों  का संरक्षण और विस्तार करना है. आम तौर पर किसान मुर्गी या अंडे बेचते हैं, लेकिन इस मॉडल में अंडों से चूजे तैयार कर बाजार में बेचे जाते हैं. देसी चूजों की मांग गांवों से लेकर छोटे पोल्ट्री फार्म  तक लगातार बनी रहती है. ऐसे में किसान सालभर चूजे बेचकर नियमित आमदनी कमा सकते हैं. सरकार चाहती है कि किसान सिर्फ उत्पादन तक सीमित न रहें, बल्कि वैल्यू एडिशन के जरिए ज्यादा मुनाफा कमाएं.

50 लाख का प्रोजेक्ट, 50 फीसदी तक सब्सिडी

योजना के तहत किसान 1000 देसी मुर्गियों और 50 मुर्गों के साथ यूनिट शुरू कर सकते हैं. इसके लिए करीब 50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इसमें हैचरी मशीन, शेड, दाना-पानी की व्यवस्था और अन्य जरूरी खर्च शामिल हैं. कुल लागत में से किसान को लगभग 5 लाख रुपये अपनी जेब से लगाने होते हैं, जबकि 20 लाख रुपये का बैंक लोन अनिवार्य है. जैसे ही किसान कुल लागत का 25 फीसदी खर्च करता है, सब्सिडी की पहली किस्त खाते में आ जाती है. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शेष सब्सिडी भी मिल जाती है.

कौन ले सकता है योजना का लाभ

इस योजना के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. किसान के पास कम से कम एक एकड़ निजी भूमि या 10 साल की पंजीकृत लीज वाली जमीन होनी चाहिए. जमीन पूरी तरह विवाद और कर्ज मुक्त होनी जरूरी है. अगर जमीन पर पहले से कोई लोन या किसान क्रेडिट कार्ड  चल रहा है, तो आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसके अलावा आवेदक के पास किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से मुर्गी पालन का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र होना भी जरूरी है.

आवेदन प्रक्रिया और फायदे

योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को उद्यम मित्रा पोर्टल  पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. विभागीय जांच के बाद आवेदन बैंक को भेजा जाता है और बैंक अपनी शर्तों पर लोन स्वीकृत करता है. इस मॉडल से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. देसी नस्ल की मुर्गियों का संरक्षण होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था  को भी मजबूती मिलेगी. सही योजना, सब्सिडी का सहारा और बढ़ती मांग-तीनों मिलकर इस मुर्गी पालन मॉडल को किसानों के लिए फायदे का सौदा बना रहे हैं.

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Published: 28 Dec, 2025 | 06:20 PM

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