Bihar News : आज के दौर में खेती सिर्फ फसल बोने और काटने तक सीमित नहीं रही. अब समय आ गया है कि किसान एक ही खेत से कई तरह की कमाई करें. अगर आप भी सोच रहे हैं कि ऐसा कैसे संभव है? तो बिहार सरकार की एक योजना इसका जीता-जागता उदाहरण है. इस योजना का नाम है- मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना. ऐसे में आइए जानते हैं इस योजना के बारे में..
सहरसा जिले से शुरू हुई नई उम्मीद
यह योजना बिहार के सहरसा जिले में तेजी से लागू की जा रही है. यहां कई खेत ऐसे हैं जो पानी भरने या दलदली होने की वजह से बरसों से बेकार पड़े थे लेकिन सरकार ने इन्हीं बेकार जमीनों को कमाई के सोने के खेत में बदलने का रास्ता दिखाया है. जिला प्रशासन किसानों को समझा रहा है कि वे सिर्फ धान या गेहूं तक सीमित न रहें, बल्कि कम लागत में मछली पालन जैसे काम अपनाकर अपनी कमाई कई गुना बढ़ा सकते हैं.
हर वर्ग के किसान को मिलेगा फायदा
इस योजना की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसमें सिर्फ चुनिंदा लोगों को नहीं, बल्कि हर वर्ग के किसानों को समान अवसर दिया गया है. सहरसा जिले में मछली पालन के लिए कुल 42 हेक्टेयर जमीन तय की गई है, जिसे तीन हिस्सों में बांटा गया है. सामान्य वर्ग के लिए 25 हेक्टेयर, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 15 हेक्टेयर और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 2 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है. इसका मतलब यह है कि चाहे किसान गरीब हो, पिछड़ा वर्ग से हो या सामान्य वर्ग से-हर किसी को इस योजना में हिस्सा लेने और कमाई करने का पूरा मौका दिया गया है.
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आधा खर्च सरकार उठाएगी
किसान जब भी कोई नया काम शुरू करने की सोचता है, तो सबसे बड़ा सवाल होता है-इतना पैसा आएगा कहां से? लेकिन इस योजना ने किसानों की यह चिंता खत्म कर दी है. सरकार खुद आगे बढ़कर खर्च उठाने को तैयार है. इसमें सामान्य वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है, जबकि SC/ST और अति पिछड़ा वर्ग के किसानों को 70 प्रतिशत तक सहायता दी जाती है. अगर तालाब बनाने में 1 लाख रुपये लगते हैं, तो आधा या उससे भी ज्यादा पैसा सरकार खुद दे देगी. इससे किसान बिना किसी डर के मछली पालन जैसे लाभदायक काम की शुरुआत कर सकता है.
एक ही खेत से तीन गुना कमाई कैसे?
अब सबसे बड़ा सवाल- कमाई तीन तरफ से कैसे होगी? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना में तीन अलग-अलग मॉडल दिए गए हैं. खासकर तीसरा मॉडल किसानों के लिए सबसे फायदेमंद है. इसमें किसान अपनी एक हेक्टेयर जमीन में 40 फीसदी हिस्सा तालाब के लिए रख सकते हैं. बाकि की 60 फीसदी जमीन में सब्जी की खेती और मुर्गी पालन कर सकते हैं.
यानी तालाब से मछली, खेत से सब्जी और शेड से अंडे या चिकन-एक ही जगह से तीन सोर्स ऑफ इनकम. अगर मछली बिके देर से, तो सब्जी से पैसा आ जाएगा. अगर सब्जी का रेट कम हो जाए, तो मुर्गी या अंडे बेचकर पैसा मिल जाएगा. यह मॉडल बिलकुल सुरक्षित और लगातार चलने वाली आय का तरीका है.
आवेदन भी बेहद आसान, सबकुछ ऑनलाइन
पहले किसान सरकारी योजनाओं में सिर्फ इसलिए भाग नहीं लेते थे क्योंकि कागजी प्रक्रिया लंबी और झंझट भरी होती थी. लेकिन इस योजना की सबसे अच्छी बात यह है कि पूरा आवेदन ऑनलाइन है. आप इस योजना के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए किसान को कोई लाइन लगाने की जरूरत नहीं, न ऑफिस के चक्कर, न दलालों के चंगुल में फंसना. किसान घर बैठकर ही आवेदन कर सकता है और जैसे ही मंजूरी मिलती है, सब्सिडी सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है.