पशु हेल्दी है या नहीं अब मिनटों में करें पहचान, हर पशुपालक के लिए बहुत जरूरी जानकारी

पशुओं की सेहत पहचानने का सबसे आसान तरीका जुगाली है. नियमित जुगाली मजबूत पाचन, अच्छी सेहत और बेहतर दूध उत्पादन का संकेत मानी जाती है. अगर गाय या भैंस की जुगाली कम हो जाए, तो यह बीमारी की शुरुआती चेतावनी हो सकती है. समय पर ध्यान देकर बड़ा नुकसान रोका जा सकता है.

नोएडा | Updated On: 26 Dec, 2025 | 07:03 PM

Animal Health: गांव में पशुपालक अक्सर दूध की मात्रा देखकर ही पशु की सेहत का अंदाजा लगा लेते हैं. लेकिन असली सेहत की पहचान इससे कहीं ज्यादा आसान संकेत से होती है, जिसे लोग जुगाली कहते हैं. अगर गाय या भैंस आराम से बैठकर जुगाली कर रही है, तो समझिए पशु स्वस्थ है. लेकिन जैसे ही जुगाली कम होती है, वहीं से बीमारी की शुरुआत मानी जाती है. बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के अनुसार जुगाली पशुओं के स्वास्थ्य का सबसे भरोसेमंद संकेत है, जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.

जुगाली क्यों है सेहत का आईना

बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के अनुसार एक स्वस्थ पशु दिन में करीब 7 से 10 घंटे जुगाली करता है. यह जुगाली आमतौर पर 5 से 25 चक्रों में पूरी होती है और हर चक्र 10 से 60 मिनट तक चलता है. जुगाली के दौरान पशु पहले खाया हुआ चारा दोबारा मुंह में लाकर अच्छी तरह चबाता है. यही प्रक्रिया पाचन  को मजबूत बनाती है और दूध उत्पादन में भी मदद करती है. अगर पशु नियमित जुगाली कर रहा है, तो यह उसकी अच्छी सेहत का साफ संकेत माना जाता है.

जुगाली करते समय क्या होता है

विभाग के अनुसार जुगाली करते वक्त पशु हर 45 से 60 सेकेंड में लगभग 40 से 70 बार चारा चबाता है. यह चबाना केवल आदत नहीं, बल्कि पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने की जरूरी प्रक्रिया है. इससे पेट में बनने वाली गैस संतुलित रहती है और चारा अच्छे से पचता है. यही कारण है कि जुगाली करने वाले पशु ज्यादा सक्रिय रहते हैं, उनका शरीर मजबूत होता है और दूध की गुणवत्ता  भी बेहतर रहती है.

जुगाली कम हो तो समझें खतरे की घंटी

अगर किसी पशु की जुगाली अचानक कम हो जाए या पूरी तरह बंद हो जाए, तो यह बीमारी का शुरुआती संकेत हो सकता है. बिहार सरकार के डेयरी विभाग के अनुसार जुगाली में कमी आने का मतलब हो सकता है कि पशु को पाचन की समस्या, बुखार, पेट दर्द या कोई और अंदरूनी दिक्कत हो रही है. कई बार खराब चारा, गंदा पानी या अचानक खुराक बदलने से भी जुगाली प्रभावित होती है. ऐसे में पशुपालकों को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए.

पशुपालक क्या करें, कैसे रखें ध्यान

पशुपालकों को रोजाना अपने पशुओं की जुगाली पर नजर रखनी चाहिए. पशु अगर आराम से बैठकर जुगाली कर रहा है, बार-बार मुंह चला रहा है और शांत दिख रहा है, तो सब ठीक है. लेकिन अगर पशु बेचैन हो, जुगाली कम करे या खाना छोड़ दे, तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए. संतुलित आहार, साफ पानी और समय पर देखभाल से जुगाली सामान्य बनी रहती है. बिहार सरकार के अनुसार जुगाली पर ध्यान देकर पशुपालक समय रहते बीमारी पकड़ सकते हैं और बड़े नुकसान से बच सकते हैं.

Published: 26 Dec, 2025 | 09:00 PM

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