गायों में गर्भपात क्यों बढ़ रहा है? किसानों के लिए सुरक्षा और देखभाल के जरूरी उपाय
सर्द मौसम और संक्रमण के कारण गायों में गर्भपात की समस्या बढ़ जाती है, जिससे किसान की कमाई और पशु की सेहत दोनों प्रभावित होते हैं. गर्भपात के कई कारण होते हैं, लेकिन समय पर पहचान, सही पोषण और साफ-सुथरा वातावरण रखने से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है. किसानों के लिए यह जानकारी बेहद जरूरी है.
Cattle Abortion : सर्द हवा के साथ खेती-पशुपालन की दुनिया में एक ऐसी परेशानी भी बढ़ जाती है, जो किसान की कमाई और पशु दोनों पर सीधा असर डालती है. खास बात है कि यह परेशानी गायों में गर्भपात है. गांवों में अक्सर किसान कहते हैं कि गर्भपात हो जाए, तो आधा साल की मेहनत बेकार हो जाती है. यह बात बिल्कुल सही है, क्योंकि गर्भपात से न सिर्फ पशु कमजोर होता है बल्कि दूध की मात्रा भी कई महीनों तक कम हो जाती है. भारत का डेयरी उद्योग दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है. जब कोरोना महामारी में कई सेक्टर लड़खड़ा गए थे, तब भी दूध का उद्योग बढ़ता रहा. लेकिन इसी तेजी से बढ़ते सेक्टर में गर्भपात एक ऐसी समस्या है, जो किसान की आजीविका और पशु की सेहत दोनों पर खतरा बनकर सामने आती है. इसी वजह से आज हम बहुत सरल भाषा में समझेंगे कि गायों में गर्भपात क्यों होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं और कैसे किसान इस मुश्किल से अपने पशु को बचा सकते हैं.
गर्भपात क्यों होता है? असली कारण समझिए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गर्भपात पशुओं के लिए अचानक आने वाली बहुत बड़ी समस्या है. यह तब होता है जब गर्भ में पल रहा बच्चा पूरा विकसित नहीं हो पाता और बीच में ही गिर जाता है. इसके कई कारण होते हैं, जिनमें सबसे बड़े कारण संक्रमण, पोषण की कमी, मौसम का प्रभाव और गलत खान-पान हैं. कुछ पशुओं में समस्या जन्म से होती है, यानी उनके शरीर में कोई ऐसी कमी या बीमारी होती है जो गर्भ ठहरने के बाद समस्या पैदा कर देती है. वहीं कुछ पशुओं में बाहरी कारणों से गर्भपात होता है, जैसे बहुत ज्यादा गर्मी, तेज ठंड, गिरना-टकराना, जहरीले पौधे खाना या असुरक्षित वातावरण. कई बार पशु ठीक दिखते हैं लेकिन उनके शरीर में कोई वायरल या बैक्टीरिया से जुड़ा संक्रमण छिपा होता है. यह संक्रमण धीरे-धीरे गर्भ को नुकसान पहुंचाता है और फिर अचानक गर्भ गिर जाता है.
संक्रामक कारण: यानी वे बीमारियां जो गर्भपात करा देती हैं
गर्भपात का सबसे बड़ा कारण संक्रमण है. कई वायरस और बैक्टीरिया ऐसे होते हैं, जो गर्भ को नुकसान पहुंचाते हैं और बच्चा गिर जाता है. इनमें से कुछ मुख्य रोग इस प्रकार हैं:-
- सबसे पहले ब्लू टंग वायरस, जो काटने वाले कीड़ों के माध्यम से फैलता है, गायों में गर्भपात का कारण बनता है. इसके कारण कई बार भ्रूण का विकास रुक जाता है और पशु को गर्भपात का सामना करना पड़ता है.
- दूसरा बड़ा कारण BVD वायरस है, जिसे बोवाइन वायरल डायरिया भी कहा जाता है. यह वायरस कई तरह से फैलता है-संक्रमित पशु के संपर्क में आने से संक्रमित चीजों के उपयोग से और प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक पहुंचने से. यह भ्रूण को नुकसान पहुंचाता है और कई बार बच्चा मर जाता है.
- तीसरा बड़ा रोग ब्रुसेला है, जो गाय-भैंस में गर्भपात का प्रमुख कारण माना जाता है. यह एक खतरनाक बैक्टीरिया है और जूनोटिक यानी इंसानों में भी फैल सकता है. यह गर्भाशय में सूजन पैदा करता है और कुछ हफ्तों में गर्भपात हो जाता है.
इसके अलावा कैम्पिलोबैक्टर, IBR, लिस्टेरिया, लेप्टोस्पाइरा जैसे कई संक्रमण भी गर्भपात कराते हैं.
गैर-संक्रामक कारण: शरीर की कमी और मौसम का असर
गर्भपात हमेशा बीमारी की वजह से नहीं होता. कई बार वजह बहुत साधारण होती है-जैसे पोषण की कमी, विटामिन-मिनरल की कमी, बहुत गर्म मौसम, तेज ठंड, कमजोरी या अचानक गिरना. अगर गाय को विटामिन A, E, आयरन या सेलेनियम की कमी हो जाए तो गर्भ ठहरने के बाद समस्या बढ़ जाती है. मौसम भी बड़ी भूमिका निभाता है. ज्यादा गर्मी होने पर पशु का तापमान बढ़ जाता है और गर्भ ठहर नहीं पाता. वहीं सर्दियों में अधिक ठंड या ठंडी हवा से शरीर में तनाव बढ़ जाता है, जो गर्भपात का कारण बनता है. इसके अलावा जहरीले पौधे या ज्यादा रासायनिक कीटनाशक खाने से भी गर्भपात हो सकता है.
गर्भपात कैसे पहचानें? लक्षण हमेशा दिखते नहीं हैं
कई बार किसान को देर से पता चलता है कि पशु में गर्भपात होने वाला है. इसके कारण पशु की हालत और बिगड़ जाती है. कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं-पशु का खाना कम करना, पेट का भारी दिखना, ज्यादा सुस्ती, पीठ मोड़कर चलना, बुखार या योनि से पानी जैसा बहना. कुछ गायें बाहर से बिल्कुल ठीक दिखती हैं, लेकिन अंदर से भ्रूण का विकास रुक चुका होता है. ऐसे समय में डॉक्टर जांच के लिए प्रोजेस्टेरोन टेस्ट या अल्ट्रासाउंड करते हैं.
गर्भपात रोकने के सरल और असरदार तरीके
गर्भपात को रोका जा सकता है, बस थोड़ी देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है. सबसे पहले गाय को ठीक पोषण देना जरूरी है. गर्भ होने से पहले से लेकर पूरे गर्भकाल में ताजा चारा, खनिज मिश्रण और साफ पानी मिलना चाहिए. गर्भ वाली गाय को हमेशा साफ, सूखे और सुरक्षित बाड़े में रखना चाहिए. बहुत ज्यादा गर्मी या ठंड से बचाना चाहिए. उसे किसी भी संक्रमित मवेशी के पास नहीं रखना चाहिए और चरते समय जहरीले पौधे न खाने दें. किसान समय-समय पर टीकाकरण जरूर कराएं, जिससे संक्रामक रोगों से बचाव हो सके.
गर्भपात के बाद देखभाल: बहुत जरूरी कदम
अगर किसी वजह से गर्भपात हो जाए तो गाय को राहत और इलाज तुरंत देना चाहिए. गाय को साफ जगह पर आराम कराएं और उसे पौष्टिक आहार दें. उसके शरीर में खून और कैल्शियम की कमी न हो, इसका ध्यान रखें. पशु चिकित्सक को बुलाकर इलाज जरूर कराएं, क्योंकि कई बार गर्भपात के बाद अंदर संक्रमण हो जाता है, जो खतरनाक होता है.
नई दवा ABORTIGO: किसानों के लिए बड़ी उम्मीद
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आजकल बाजार में एक नई होम्योपैथिक दवा ABORTIGO उपलब्ध है, जो गर्भपात रोकने और गर्भ सुरक्षित बनाए रखने में मदद करती है. यह दवा बिना किसी साइड इफेक्ट के दी जा सकती है. यह गाय के गर्भाशय को मजबूत रखती है, शरीर में खनिजों का संतुलन ठीक करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. कई पशु चिकित्सक इसे गर्भपात रोकने वाली सुरक्षित दवा के रूप में सलाह दे रहे हैं.