धान के खेत की मिट्टी में खतरनाक बैक्टीरिया की वजह से किसान टीबी जैसे खतरनाक रोग की चपेट में आ रहे हैं. मध्य प्रदेश के कई हिस्सों से ऐसे मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार सकते में आ गई है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मुख्य सचिव कृषि को तत्काल मामले की जांच और बीमारी की रोकथाम के उपाय करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ स्वास्थ्य महकमे को भी किसानों और ग्रामीणों के स्वास्थ्य जांच के लिए गहन अभियान चलाने के लिए निर्देशित किया है. भोपाल एम्स ने इस बीमारी का सबसे अधिक खतरा खेती-किसानी से जुड़े लोगों को बताया है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि किसानों की समृद्धि और स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि धान किसानों को मेलिओइडोसिस के संक्रमण अपनी चपेट में ले रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने धान किसानों की चिंता करते हुये टीबी जैसे लक्षणों वाले घातक रोग मेलिओइडोसिस की रोकथाम के उपाय करने पर गंभीर रूख अपनाया है. एम्स की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए उन्होंने इसे गंभीरता से लेने और रोकथाम के लिए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और कृषि को उपाय करने के दिए निर्देश हैं.
किसानों को करें सजग और जागरूक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वास्थ्य और कृषि विभाग को निर्देश दिए हैं कि संभावित और प्रभावित क्षेत्रों में इन प्रकरणों की जांच करें. इसकी रोकथाम के लिए किसानों को सजग और जागरूक करें. यदि कोई किसान या व्यक्ति इस गंभीर बीमारी से संक्रमित है और उसे चिन्हित किया जाता है तो उसके समुचित उपचार के प्रभावी प्रबंध सुनिश्चित करें.
एम्स भोपाल की रिपोर्ट में खुलासा
एम्स भोपाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में धान का रकबा बढ़ने और पानी के स्रोत अधिक होने से इस बीमारी का संक्रमण बढ़ रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में ‘मेलिओइडोसिस’ से प्रभावित रोगियों की पुष्टि हुई है. खासतौर पर धान के खेतों की संक्रमित मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से होने वाले इस रोग के संबंध में जागरूकता, समय पर पहचान और उपचार के संबंध में एम्स भोपाल की ओर से ट्रेनिंग सेशन किए जा रहे हैं.
मेलिओइडोसिस से किसानों को खतरा ज्यादा
मेलियोइडोसिस एक संक्रामक बीमारी है जो ‘बर्कहोल्डरिया स्यूडोमैली’ नामक बैक्टीरिया से होती है. यह बैक्टीरिया आम तौर पर मिट्टी और पानी में पाया जाता है. बीमारी के प्रमुख लक्षण लंबे समय तक बुखार रहना या बार-बार बुखार आना, लगातार खांसी होना जो टीबी जैसी हो सकती है. सांस लेने या सामान्य गतिविधि के दौरान सीने में दर्द होना और टीबी समझकर शुरू किए गए इलाज के बावजूद लक्षण में सुधार न होना है. इस बीमारी का सबसे अधिक खतरा खेती-किसानी से जुड़े लोगों को हो सकता है, क्योंकि उनका सीधा संपर्क मिट्टी और पानी से होता है. डायबिटीज (मधुमेह) के मरीज और अधिक शराब का सेवन करने वालों को भी यह बीमारी हो सकती है. इस बीमारी की तत्काल जांच के साथ उपचार एवं सावधानी रखकर बचाव किया जा सकता है.
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