Punjab News: पंजाब में लगातार बारिश और बाढ़ से जूझने के बाद अब किसानों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. लुधियाना जिले में धान के दाने काले पड़ रहे हैं और ‘ब्राउन प्लांट हॉपर’ नामक कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. यह दोनों समस्याएं ऐसे समय आई हैं जब धान की फसल पकने के करीब है, जिससे किसानों को भारी नुकसान और आर्थिक संकट की आशंका है. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के विशेषज्ञों ने कहा है कि ये नुकसान फूल आने के समय भारी बारिश और कीट हमले के कारण हो रहा है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, PAU के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने कहा कि लगातार बारिश से खेतों में नमी बहुत बढ़ गई है. ऊपर से अचानक तापमान बढ़ा, जिससे फंगस (कवक) के पनपने के लिए आदर्श स्थिति बन गई. इसका असर यह है कि धान के दाने काले हो रहे हैं और फट भी रहे हैं, जिससे गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर बुरा असर पड़ेगा. साथ ही, ब्राउन प्लांट हॉपर की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, इसलिए किसानों को तुरंत एक्शन लेना होगा.
धान के दानों का रंग काला
कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) से मिले फील्ड रिपोर्ट्स के अनुसार, कई इलाकों में धान के दानों का रंग काला पड़ चुका है. PAU के एग्रोनॉमिस्ट बूटा सिंह ने कहा कि इस साल फूल आने का समय बारिश के साथ टकरा गया, जिससे फसल को बहुत नुकसान हो रहा है. इसी वजह से धान के दाने काले हो रहे हैं. कुल मिलाकर, मौसम और कीटों की यह दोहरी मार किसानों के लिए बड़ी चिंता बन गई है.
क्या कहते हैं किसान
साहबाना गांव के किसान गुरप्रीत सिंह ने कहा कि धान के दाने काले पड़ गए हैं. इससे पैदावार और बाजार में कीमत दोनों पर असर पड़ेगा. यह किसानों के लिए दोहरी मार है. वहीं, किसानों की परेशानी और बढ़ गई है क्योंकि PAU (पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी) की नई सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में ब्राउन प्लांट हॉपर की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ये कीट गर्म और नम वातावरण में तेजी से पनपते हैं और धान के पौधों का रस चूसते हैं, जिससे पौधे पीले पड़कर मुरझा जाते हैं और सूख जाते हैं. इसे ही ‘हॉपर बर्न’ कहा जाता है.
PAU ने जारी की एडवाइजरी
PAU की एडवाइजरी में किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों की निगरानी करें. पौधों को हल्के से हिलाकर देखें कि कितने कीट उड़ते हैं. अगर प्रति पौधा 5 से अधिक कीट दिखें, तो PAU द्वारा सुझाए गए कीटनाशकों का छिड़काव करें और ध्यान रखें कि दवा पौधों की जड़ के पास लगाई जाए, ताकि असर ज्यादा हो.