ग्वार-नरमा और धान-मक्का बर्बादी पर भड़के किसान, किसानों को 50 हजार और मजदूरों को 10 हजार मुआवजा मांगा

बीकेई के प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि इस साल भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों की खरीफ फसलें जैसे नरमा, कपास, मूंगफली, ग्वार और मूंग पूरी तरह नष्ट हो गई हैं. किसानों का नेतृत्व करते हुए उन्होंने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 14 Sep, 2025 | 12:55 PM

Haryana News: इस मॉनसून जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण किसानों की खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है जिसके कारण किसानों के सामने गहरा आर्खिक संकट खड़ा हो गया है.  इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के सिरसा जिले में बीकेई यानी भारतीय किसान एकता ने प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख के नेतृत्व में केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री सतीश चंद्र दूबे को ज्ञापन दिया है. जिसमें ये मांग की गई है कि प्रदेश में बाढ़, भारी बारिश और जलभराव के कारण किसानों को जो नुकसान हुआ है उसकी जल्द से जल्द भरपाई की जाए और आगे भी किसानों को इन समस्याओं का सामना न करना पड़े, इसके लिए स्थायी समाधान की मांग की गई है.

खरीफ फसलों के लिए 50 हजार का मुआवजा

मीडिया को संबोधित करते हुए बीकेई के प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि इस साल भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों की खरीफ फसलें जैसे नरमा, कपास, मूंगफली, ग्वार और मूंग पूरी तरह नष्ट हो गई हैं. औलख ने बताया कि सिरसा जिले में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने आए केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री सतीश चंद्र दूबे को ज्ञापन सौंपते हुए किसानों की मांग है कि, खरीफ फसलों के नुकसान पर प्रति एकड़ की दर से 50 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए. वहीं खेत मजदूरों को प्रति एकड़ की दर से 10 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए.

उन्होंने बताया कि कोयला राज्य मंत्री से ये भी मांग की गई है कि वे मुआवजे की 5 एकड़ तक की शर्त को हटाकर पूरी फसल पर मुआवजा दें. इसके अलावा सरकार से बाढ़ से प्रभावित हुए सब्जी और बागवानी किसानों को भी उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है.

घग्गर नदी के किनारे पक्की सड़क की मांग

किसान नेता लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि घग्गर नदी जो कि पंजाब से निकलकर हरियाणा के रास्ते राजस्थान जाती है, उस नदी के दोनों तरफ तटबंधों की खुदाई कर पक्की सड़का का निर्माण कराने के भी मांग की गई है. साथ ही प्रदेश में बाढ़ के कारण जिन लोगों ने अपने घर, ट्यूबवेल, सोलर पैनल और पशुओं को खो दिया, उनके नुकसान की भरपाई की भी मांग की गई है. इस दौरान औलख ने सरकार पर आरोप भी लगाया कि घग्गर नदी, नहरों और ड्रेनों की सफाई और तटबंधों की मरम्मत के लिए सरकार केवल कागजों में करोड़ों खर्च करती है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया जा रहा है.

नदियों और नहरों की सफाई है जरूरी

लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि हिसार घग्गर ड्रेन में फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण फसलें तो खराब हो ही रही हैं बल्कि किसानों में चर्म रोग का खतरा भी बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी फैक्ट्रियों पर सख्ती से पाबंदी लगाई जानी चाहिए . उन्होंने मांग की है कि इन फैक्ट्रियों के ड्रेन की शाखाएं रेतीली इलाकों में निकाली जाए ताकि किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए शुद्ध पानी मिल सके. इसके अलावा औलख ने अपने ज्ञापन पत्र में ये भी लिखा है कि सभी नदियों, नहरों और ड्रेनों की सफाई और उनके नीवीनीकरण की भी जरूरत है. उन्होंने प्रदेश की बीजेपी सरकार से मांग की है वे जल्द से जल्द बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए राहत पैकेज का ऐलान करें.

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