राजस्थान में खरीफ बुआई पूरी, लेकिन मोटे अनाज और दालों की पैदावार पर संकट के बादल

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 12 सितंबर तक राजस्थान में सामान्य से 159 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई. जून और जुलाई में लगातार भारी बारिश के बाद अगस्त में लगभग 25 दिनों का लंबा सूखा पड़ा. इसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में फिर तेज बारिश हुई. इस उतार-चढ़ाव वाले मौसम ने फसलों की वृद्धि को प्रभावित किया.

नई दिल्ली | Updated On: 13 Sep, 2025 | 07:41 AM

राजस्थान में इस बार मॉनसून ने रिकॉर्ड तोड़ बारिश की है. जून से सितंबर के बीच राज्य में औसत से 70 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई. भारी बारिश के बावजूद राज्य में खरीफ फसलों की कुल बुआई पिछले साल के लगभग बराबर रही. लेकिन खेतों में फसल की स्थिति उम्मीदों के मुताबिक नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के असंतुलित पैटर्न और लंबे सूखे की वजह से इस सीजन में मोटे अनाज और दलहन की पैदावार कम हो सकती है.

रिकॉर्ड बारिश और असमान मौसम ने बढ़ाई मुश्किलें

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार,  मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जून से 12 सितंबर तक राजस्थान में सामान्य से 159 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई. जून और जुलाई में लगातार भारी बारिश के बाद अगस्त में लगभग 25 दिनों का लंबा सूखा पड़ा. इसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में फिर तेज बारिश हुई. इस उतार-चढ़ाव वाले मौसम ने फसलों की वृद्धि को प्रभावित किया. किसान बताते हैं कि लगातार भीगने और फिर अचानक सूखे ने खेतों में पौधों की जड़ें कमजोर कर दीं, जिससे पैदावार पर असर पड़ना तय है.

जयपुर के पास रहने वाले किसान ओमकार मल जाट बताते हैं कि चारे की कमी पहले ही महसूस होने लगी है. “पंजाब से जो चारा पहले 6 रुपये किलो मिलता था, अब 8 से 9 रुपये किलो बिक रहा है. इस बार हमें चारा दूसरे राज्यों से मंगवाना पड़ेगा,” उन्होंने कहा.

बुआई का क्षेत्र लगभग स्थिर, लेकिन पैदावार पर खतरा

राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 9 सितंबर तक खरीफ फसलों की कुल बुआई 157.77 लाख हेक्टेयर रही, जो पिछले साल के 157.74 लाख हेक्टेयर के लगभग बराबर है. हालांकि सामान्य औसत (164.53 लाख हेक्टेयर) से यह अब भी कम है. किसान संगठनों का कहना है कि कई इलाके ऐसे हैं जहां भारी बारिश से फसल पूरी तरह खराब हो गई और उन्हें आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया. किसान नेता रामपाल जाट ने बताया कि कुछ जमीनें अब गैर-कृषि कामों जैसे आवासीय और औद्योगिक विकास के लिए इस्तेमाल हो रही हैं, जिससे कृषि क्षेत्र धीरे-धीरे घट रहा है.

कौन सी फसलें बढ़ीं, कौन सी घटीं

राजस्थान की प्रमुख खरीफ फसलों में बाजरा की बुआई लगभग स्थिर रही. इस बार 43.15 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 43.25 लाख हेक्टेयर था. ग्वार की खेती 10 प्रतिशत घटकर 24.51 लाख हेक्टेयर रह गई. वहीं मूंग की बुआई 2 प्रतिशत बढ़कर 23.58 लाख हेक्टेयर तक पहुंची.

अन्य फसलों में कपास की बुआई 21 प्रतिशत बढ़कर 6.29 लाख हेक्टेयर, धान 15.4 प्रतिशत बढ़कर 3.44 लाख हेक्टेयर, उड़द 5 प्रतिशत बढ़कर 3.13 लाख हेक्टेयर, मक्का 1.5 प्रतिशत बढ़कर 9.85 लाख हेक्टेयर और ज्वार 2.7 प्रतिशत बढ़कर 6.57 लाख हेक्टेयर रही. दूसरी ओर सोयाबीन की बुआई 8.9 प्रतिशत घटकर 9.83 लाख हेक्टेयर और माठ (एक किस्म की दाल) 4.4 प्रतिशत घटकर 9.08 लाख हेक्टेयर पर सिमट गई.

रबी सीजन से उम्मीद

किसान नेताओं का कहना है कि खरीफ सीजन की भरपाई रबी फसलों से हो सकती है. भारी बारिश से जमीन में पर्याप्त नमी बनी रहेगी, जिससे गेहूं और चने जैसी रबी फसलों की बुआई को फायदा मिलेगा. हालांकि ज्यादा नमी के कारण रबी की बुआई कुछ दिन देरी से शुरू होगी. किसान फिलहाल मिट्टी की स्थिति सुधरने का इंतजार कर रहे हैं ताकि अगली फसल समय पर लगाई जा सके.

भले ही खरीफ की पैदावार पर खतरा मंडरा रहा हो, लेकिन अगर रबी सीजन सामान्य रहा तो किसानों को इस नुकसान की भरपाई करने का मौका मिल सकता है.

Published: 13 Sep, 2025 | 07:40 AM