खरीफ 2025 में मक्का ने मारी बाजी, सोयाबीन-कपास की बुआई घटी-जानिए वजह

मक्का की बढ़ती लोकप्रियता का असर सोयाबीन और कपास पर पड़ा है. सोयाबीन की खेती 124.24 लाख हेक्टेयर से घटकर 119.51 लाख हेक्टेयर रह गई है. वहीं, कपास का क्षेत्र भी 110.49 लाख हेक्टेयर से घटकर 106.96 लाख हेक्टेयर रह गया.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Aug, 2025 | 11:50 AM

इस साल के खरीफ मौसम में मक्का किसानों की पहली पसंद बन गया है. कपास और सोयाबीन की तुलना में मक्का की खेती में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है. इसका मुख्य कारण मक्का से थेनॉल उत्पादन की बढ़ती मांग है, जिसे सरकार के फ्यूल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

मक्का की खेती में वृद्धि

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, केंद्रीय कृषि विभाग के अनुसार, इस खरीफ में मक्का की बुआई 91.89 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह 83.15 लाख हेक्टेयर थी. यानी मक्का की खेती में 8.74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह किसी भी फसल के लिए इस खरीफ का सबसे बड़ा बढ़ोतरी प्रतिशत है.

सोयाबीन और कपास की घटती बुआई

मक्का की बढ़ती लोकप्रियता का असर सोयाबीन और कपास पर पड़ा है. सोयाबीन की खेती 124.24 लाख हेक्टेयर से घटकर 119.51 लाख हेक्टेयर रह गई है. वहीं, कपास का क्षेत्र भी 110.49 लाख हेक्टेयर से घटकर 106.96 लाख हेक्टेयर रह गया.

एथेनॉल उत्पादन का असर

मक्का का सबसे बड़ा कारण है कि मक्का से एथेनॉल बनाने पर किसानों को प्रीमियम यानी ज्यादा दाम मिलता है. इसके अलावा, मक्का से बने “ड्राइड डिस्टिलर्स ग्रेन्स विद सॉलिबल्स (DDGS)” को उच्च प्रोटीन वाला पशु आहार माना जाता है, जिससे पशुपालन में भी फायदा होता है.

सरकार किसानों को मक्का की खेती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. मक्का कम पानी में उगाया जा सकता है, इसलिए यह पानी की बचत में मदद करता है और स्थायी खेती के लिए भी अच्छा है. कई डिस्टिलरी कंपनियों ने किसानों के साथ सीधे समझौते किए हैं, जिससे किसान अपनी फसल का भरोसेमंद बाजार पा रहे हैं.

मक्का की बढ़ती मांग से किसानों की आय बढ़ रही है. साथ ही, सरकार ने कुछ राज्यों में एथेनॉल उत्पादन के लिए विशेष प्रोत्साहन और समर्थन मूल्य भी तय किया है. किसानों को बीज, उर्वरक और खेती की तकनीकी मदद भी मिल रही है. एथेनॉल उत्पादन और मक्का की बढ़ती मांग ने इस फसल को इस खरीफ सीजन की सबसे पसंदीदा फसल बना दिया है.

किसानों की प्राथमिकता में बदलाव

सरकार किसानों को पानी अधिक खर्च करने वाली फसल जैसे गन्ने से मक्का की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. कई डिस्टिलरी कंपनियों ने किसानों के साथ सीधे मक्का खरीदने के समझौते किए हैं. यही वजह है कि मक्का इस मौसम में सबसे पसंदीदा फसल बन गई है.

सोयाबीन और अन्य तिलहन फसलों पर असर

एस.ई.ए. (सॉल्वेंट एंड एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने बताया कि खरीफ में तेलहन फसलों की बुआई घटकर 178.64 लाख हेक्टेयर रह गई है, जो पिछले साल 185.38 लाख हेक्टेयर थी. इसका कारण मक्का और एथेनॉल की बढ़ती मांग है. सोयाबीन और मूंगफली जैसी प्रमुख फसलें कम बोई गईं, जिससे किसानों की पसंद में बदलाव साफ नजर आता है.

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