मानसून बना किसानों के लिए वरदान, मक्का की खेती में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, जानें कितना हुआ इजाफा

इस समय पर आए मानसून ने किसानों के फसल पैटर्न को भी बदल दिया है. खासतौर पर मक्का (Maize) की खेती में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है. मक्का की खेती वैसे तो देशभर में सालभर होती है, लेकिन इस बार इसे और ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 8 Jul, 2025 | 04:06 PM

किसानों के लिए इस बार का मॉनसून खुशखबरी लेकर आया है. मौसम विभाग के आंकड़ों और एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार मॉनसून समय से 10 से 15 दिन पहले आ गया है, और यही समय से हुई बारिश अब खेती की तस्वीर बदल रही है. खेती का रकबा (कुल बोए गए क्षेत्र) पिछले साल की तुलना में करीब 11 फीसदी तक बढ़ गया है, जिससे फसल उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है.

मक्का की खेती में दिखा बड़ा बदलाव

रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय पर आए मानसून ने किसानों के फसल पैटर्न को भी बदल दिया है. खासतौर पर मक्का (Maize) की खेती में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है. मक्का की खेती वैसे तो देशभर में सालभर होती है, लेकिन इस बार इसे और ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य भारत के कई हिस्सों में किसानों ने मक्का की तरफ तेजी से रुख किया है.

कपास की जगह अब मक्का

रिपोर्ट बताती है कि पश्चिम और दक्षिण भारत में कपास (Cotton) की जगह मक्का को तरजीह दी जा रही है. इसकी वजह है मक्का की बेहतर पैदावार, कम लागत और बाजार में अच्छी मांग. इसके अलावा, मक्का हाइब्रिड बीजों की मांग में भी इस साल लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है.

एग्रोकेमिकल्स सेक्टर को भी राहत

मानसून की शुरुआती बरसात से सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि एग्रोकेमिकल्स कंपनियां भी राहत की सांस ले रही हैं. लंबे समय से यह सेक्टर दबाव में चल रहा था कभी मौसम की मार, तो कभी चीन से आयात में दिक्कतों की वजह से दामों में गिरावट. लेकिन अब स्थिति सुधरती नजर आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू एग्रोकेमिकल्स इंडस्ट्री में इस साल 8 फीसदी की ग्रोथ देखी जा सकती है.

बाजार में स्थिरता, कीमतों में उछाल की संभावना नहीं

घरेलू और वैश्विक स्तर पर कीटनाशकों और उर्वरकों की कीमतें अभी स्थिर बनी हुई हैं. रिपोर्ट का मानना है कि आने वाले समय में इनमें भारी उछाल की संभावना नहीं है. इससे किसानों को राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें कम लागत में अच्छी फसल उगाने का मौका मिलेगा.

कंपनियों के लिए भी उम्मीद की किरण

रिपोर्ट में बताया गया है कि मॉनसून की सही टाइमिंग ने किसानों के साथ-साथ कृषि उत्पाद बनाने वाली कंपनियों का भी भरोसा बढ़ाया है. कंपनियों को अब एक बेहतर प्रोडक्ट मिक्स, ऑपरेशन में कुशलता और मुनाफा बढ़ने की उम्मीद है. अनुमान है कि इस तिमाही में इन कंपनियों की EBITDA मार्जिन 13.2 फीसदी तक रह सकती है, जो कि एक अच्छा संकेत है.

क्यों जरूरी है समय पर मॉनसून?

भारत में खेती का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मानसून पर निर्भर है. जब बारिश समय पर होती है, तो किसान समय पर बोआई कर पाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होता है. इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है.

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