Rat Milk News: अगर आपसे कोई कहे कि दुनिया में ऐसा भी दूध है जिसकी कीमत सोने से कई गुना ज्यादा है, तो शायद यकीन करना मुश्किल हो. लेकिन यह सच है. रोजमर्रा में पीने वाला गाय-भैंस का दूध जहां कुछ रुपये में मिल जाता है, वहीं एक जानवर का दूध ऐसा भी है जिसकी एक लीटर कीमत करीब 20 लाख रुपये तक बताई जाती है. हैरानी की बात यह है कि इस दूध की एक-एक बूंद बेशकीमती मानी जाती है. हम बात कर रहे हैं चुहिया (मादा चूहे) के दूध (खास तरह का तरल पदार्थ) की, जिसे दुनिया का सबसे महंगा दूध बताया जाता है. यह दूध आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि दवाइयों और रिसर्च की दुनिया के लिए बेहद खास है.
दुनिया का सबसे महंगा दूध क्यों है चुहिया का दूध
चुहिया का दूध (Mouse Milk) महंगा होने की सबसे बड़ी वजह इसमें पाए जाने वाले खास पोषक तत्व हैं. बताया जाता है कि इस दूध में ऐसे प्रोटीन और बायो-एक्टिव तत्व होते हैं, जो दवाइयों और वैज्ञानिक शोध में बहुत काम आते हैं. इन्हीं खास गुणों की वजह से यह दूध आम डेयरी उत्पाद की तरह नहीं, बल्कि मेडिकल रिसर्च का कीमती कच्चा माल बन जाता है. यही कारण है कि इसकी कीमत लाखों में पहुंच जाती है.
कहां मिलता है और कैसे निकाला जाता है दूध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चुहिया का दूध किसी बाजार या डेयरी फार्म में नहीं मिलता, बल्कि यह केवल खास लैबोरेटरी और रिसर्च सेंटर में निकाला जाता है. मीडिया रिपोर्ट में छपी खबरों के अनुसार अमेरिका, जापान और यूरोप की वैज्ञानिक संस्थाओं में चुहिया पर शोध कर दूध निकालने का दावा किया गया है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, NIH और जापान की RIKEN लैब जैसी जगहों पर यह प्रयोग हुए हैं. चुहिया से दूध निकालना बेहद मुश्किल होता है. वैज्ञानिक खास उपकरणों और तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. कई घंटों की मेहनत के बाद सिर्फ कुछ बूंद दूध ही मिल पाता है, यही वजह है कि इसका मूल्य बहुत ज्यादा माना जाता है.
किस काम आता है चुहिया का दूध
चुहिया से निकाला गया दूध पीने के लिए नहीं होता. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से दवा बनाने, रिसर्च और एक्सपेरिमेंट में किया जाता है. दवाइयों की दुनिया में चुहिया के दूध से ऐसे तत्व निकाले जाते हैं, जो नई दवाओं के परीक्षण, हार्मोन रिसर्च और जेनेटिक स्टडी में काम आते हैं. कई बड़ी फार्मा कंपनियां और रिसर्च संस्थान इस दूध का उपयोग करती हैं. चुहिया का दूध आम लोग नहीं खरीदते. इसे वैज्ञानिक संस्थान, मेडिकल रिसर्च लैब और फार्मा कंपनियां खरीदती हैं. ये संस्थान नई दवाओं और इलाज की खोज के लिए इस दूध का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि यह दूध बहुत कम मात्रा में मिलता है और इसकी उपयोगिता बेहद खास है, इसलिए इसकी कीमत 20 लाख रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाती है.