Amul और IFFCO ने फिर किया कमाल, वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर रिपोर्ट में भारत बना नंबर वन

वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 यह साबित करता है कि भारत का सहकारी मॉडल सिर्फ देश की नहीं, बल्कि दुनिया की भी जरूरत है. अमूल और इफको जैसी संस्थाएं इस बात की मिसाल हैं कि जब लोग एकजुट होकर काम करते हैं, तो हर चुनौती का समाधान संभव होता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 5 Nov, 2025 | 10:00 AM

Indian Cooperatives: भारत की सहकारी संस्थाओं ने एक बार फिर पूरी दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाया है. अंतरराष्ट्रीय सहकारी संगठन (ICA) और यूरोपीय रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज (EURICSE) द्वारा दोहा में जारी वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 रिपोर्ट में भारत की दो सबसे बड़ी सहकारी संस्थाएं इफको (IFFCO) और अमूल (Amul) ने वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्थान हासिल किया है. यह रिपोर्ट हर साल दुनिया की 300 सबसे बड़ी सहकारी संस्थाओं का मूल्यांकन करती है और इस बार भारत का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है.

सहकारिता की ताकत

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब पूरी दुनिया आर्थिक अस्थिरता और पर्यावरणीय संकट के दौर से गुजर रही है. ऐसे में सहकारी संस्थाएं एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था के रूप में उभरी हैं जो लाभ से ज्यादा लोगों के हितों को प्राथमिकता देती हैं. वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 की 13वीं रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं का कुल टर्नओवर 2.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा. इनमें भारत की दो संस्थाएं इफको और अमूल ने न सिर्फ अपनी जगह बरकरार रखी, बल्कि सहकारिता के क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश की.

किसानों की शक्ति का प्रतीक है इफ्को

इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited) ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सहकारिता का असली उद्देश्य सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि किसानों का सशक्तिकरण है. इफ्को ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म और पर्यावरण के अनुकूल खाद उत्पादन के जरिए लाखों किसानों को आधुनिक खेती की दिशा में आगे बढ़ाया है.
संस्था का मुनाफा सीधे किसानों के कल्याण, हरित पहल (Green Initiatives) और नई तकनीकों के विकास में लगाया जा रहा है. यही वजह है कि इफको आज दुनिया के सबसे सफल सहकारी मॉडलों में से एक माना जाता है.

अमूल – गांवों से उठी और वैश्विक मंच पर छाई

भारत के दूध उत्पादन की रीढ़ कहे जाने वाले अमूल ने भी इस रिपोर्ट में शानदार प्रदर्शन किया है. गुजरात के छोटे-छोटे गांवों में किसानों द्वारा शुरू की गई यह संस्था आज भारत की पहचान बन चुकी है. अमूल न सिर्फ लाखों डेयरी किसानों की आय का मुख्य साधन है, बल्कि ग्रामीण आत्मनिर्भरता और सामूहिक स्वामित्व का प्रतीक भी है. अमूल का मॉडल दिखाता है कि अगर किसानों को एक मंच पर लाया जाए, तो वे किसी भी बड़े उद्योग को चुनौती दे सकते हैं. आज अमूल सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा और सहकारी व्यापार का चेहरा बन चुका है.

दुनिया में छा रहा है सहकारी क्षेत्र

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सहकारी क्षेत्र में कृषि (35.7 फीसदी) और बीमा (31.7 फीसदी) का सबसे बड़ा योगदान है. इसके बाद थोक और खुदरा व्यापार का स्थान आता है. फ्रांस का Groupe Crédit Agricole, अमेरिका का State Farm और जर्मनी का REWE Group टर्नओवर के मामले में शीर्ष पर हैं, लेकिन भारत की सहकारी संस्थाएं तेजी से इनकी बराबरी की ओर बढ़ रही हैं. डिजिटल बदलाव और स्थानीय सशक्तिकरण के दम पर भारत जैसे उभरते देशों की सहकारी संस्थाएं अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूत जगह बना रही हैं.

दुनिया को राह दिखा रहा है भारत का मॉडल

अंतरराष्ट्रीय सहकारी संगठन (ICA) के महानिदेशक जेरोन डगलस ने कहा, “इस साल की रिपोर्ट यह साबित करती है कि सहकारी संस्थाएं न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं, बल्कि वे वैश्विक चुनौतियों का समाधान भी दे रही हैं.” उन्होंने आगे कहा कि 2026–2030 के लिए नई रणनीति ‘प्रैक्टिस, प्रमोट, प्रोटेक्ट’ के तहत सहकारी संस्थाओं को सतत विकास और सामाजिक न्याय के केंद्र में रखा जाएगा.

वहीं, EURICSE के सचिव जियानलुका साल्वातोरी ने कहा कि सहकारी मॉडल आज के दौर में सबसे संतुलित आर्थिक व्यवस्था है, क्योंकि यह न्याय, समानता और लोकतांत्रिक शासन के सिद्धांतों पर आधारित है.

सहकारिता का संदेश-साथ मिलकर विकास

वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 यह साबित करता है कि भारत का सहकारी मॉडल सिर्फ देश की नहीं, बल्कि दुनिया की भी जरूरत है. अमूल और इफको जैसी संस्थाएं इस बात की मिसाल हैं कि जब लोग एकजुट होकर काम करते हैं, तो हर चुनौती का समाधान संभव होता है. भारत के गांवों से लेकर वैश्विक मंच तक, सहकारिता का यह सफर दर्शाता है कि साझा प्रयास ही असली ताकत है.

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