खाद से खेती को मिल रहा बूस्ट, उर्वरकों का घरेलू उत्पादन बढ़ने से किल्लत दूर हो रही

बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि भारत उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है, जिससे किसानों को खाद की कमी नहीं हो रही और खेती के उत्पादन में सुधार देखने को मिल रहा है.

नोएडा | Updated On: 6 Aug, 2025 | 08:39 AM

देश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में उर्वरकों की अहम भूमिका होती है. हाल के वर्षों में सरकार द्वारा उर्वरक उत्पादन पर विशेष जोर दिए जाने से किसानों को समय पर खाद उपलब्ध हो रही है. घरेलू उत्पादन बढ़ने से आयात पर निर्भरता कम हुई है और किल्लत की समस्या काफी हद तक दूर हो गई है. इससे किसानों की लागत घट रही है और फसलों की गुणवत्ता व उत्पादन में भी सुधार देखने को मिल रहा है.

बिहार के माननीय उप मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि भारत अब उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इससे किसानों को खेती के समय खाद की किल्लत नहीं झेलनी पड़ रही, और उत्पादन में भी सुधार हो रहा है.

कृषि का जीडीपी में बड़ा योगदान

सिन्हा ने बताया कि आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों का भारत की जीडीपी में लगभग 16 प्रतिशत योगदान है. साथ ही, देश की 46 फीसदी से ज्यादा आबादी की आजीविका भी खेती और इससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है.

इससे यह साफ होता है कि खेती सिर्फ अन्न उत्पादन का जरिया नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार का बड़ा आधार भी है. इसलिए कृषि क्षेत्र को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है.

उर्वरक बजट में बड़ी बढ़ोतरी

सरकार ने 2024-25 के लिए उर्वरक विभाग के बजट में बढ़ोतरी की है. संसद में पारित अनुपूरक अनुदान के अनुसार, इस साल उर्वरक बजट 1,68,130.81 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,91,836.29 करोड़ रुपये कर दिया गया है. यह बढ़ा हुआ बजट प्राकृतिक गैस की कीमतों, उर्वरकों की जरूरत, और वैश्विक बाज़ार के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए किया गया है. इससे यह साबित होता है कि सरकार किसानों को खाद के मामले में पूरी मदद देने के लिए तैयार है.

उत्पादन में बड़ी छलांग, यूरिया के मामले में रिकॉर्ड

कृषि मंत्री ने बताया कि वर्ष 2023-24 में भारत ने 314 लाख मीट्रिक टन (LMT) यूरिया उत्पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया. पिछले 6 वर्षों में 6 नए यूरिया संयंत्रों की स्थापना हुई, जिससे घरेलू उत्पादन क्षमता में 76.2 एलएमटी की बढ़ोतरी हुई है. इससे अब देश की यूरिया जरूरत का 87 प्रतिशत हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा हो रहा है.

साथ ही, एनपीके उर्वरकों की 90 फीसदी आवश्यकता भी देश में ही पूरी की जा रही है. हालांकि डीएपी और एमओपी के मामले में अभी भी आयात पर निर्भरता बनी हुई है, लेकिन इसमें भी सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं.

किसानों को सीधी मदद- सब्सिडी में भी इजाफा

सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy) योजना का बजट भी बढ़ाया है. 2024-25 में यह राशि 45,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 54,310 करोड़ रुपये कर दी गई है. इससे किसानों को समय पर सस्ती और गुणवत्तापूर्ण खाद उपलब्ध कराना आसान हुआ है. यह योजना विशेष रूप से उन किसानों के लिए मददगार है, जो नकदी फसलों के साथ-साथ पारंपरिक फसलें भी उगाते हैं.

ONOF योजना से बढ़ी पारदर्शिता

सिन्हा ने बताया कि सरकार ने “एक राष्ट्र, एक उर्वरक” (One Nation, One Fertilizer – ONOF) योजना लागू की है. इसके तहत पूरे देश में एक जैसी ब्रांडिंग और पैकिंग की व्यवस्था की गई है. इससे किसानों को यह पता चल पाता है कि उन्हें असली और गुणवत्ता वाली खाद मिल रही है या नहीं. इससे भ्रष्टाचार कम हुआ है, वितरण प्रणाली बेहतर हुई है, और उर्वरक कंपनियों की जवाबदेही भी बढ़ी है.

Published: 6 Aug, 2025 | 06:45 AM